कर्मठता ही पहचान है जिलाधिकारी निधि श्रीवास्तव की
टीवी सीरियल से प्रेरणा पाकर हासिल किया आईएएस बनने का लक्ष्य
1980 के दशक के अंत में दूरदर्शन पर एक लोकप्रिय सीरियल आया जिसका शीर्षक था उड़ान। ये सीरियल एक आईपीएस अधिकारी की रीयल लाइफ स्टोरी पर बना था। इससे प्रभावित होकर लाखों लड़कियों ने पुलिस या प्रशासनिक सेवा में जाने की तैयारी शुरू कर दीं, लेकिन इनमें से कुछ ही अपनी तैयारियों के प्रति भी गंभीर थीं और उन्हें ही आसमान की ऊँचाइयां हासिल हुईं। सफलता की एक ऐसी ही दास्तान है निधि श्रीवास्तव की, जिन्होंने न सिर्फ सिविल सर्विसेज की परीक्षा में टॉप रैंकिंग हासिल की बल्कि अपनी सूझबूझ और कार्यकुशलता के दम पर एक सफल व लोकप्रिय अधिकारी भी साबित हुईं।
2010 में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता मिली । निधि ने 27 वां रैंक हासिल किया । उस वक्त निधि पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से एलएलएम की पढ़ाई कर रही थी और फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट्स थी। उन्होंने एडमिनेस्ट्रेटिव सर्विस ज्वाइंन करने से पहले कुछ दिन के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में वकालत भी की । वर्तमान में सेंट्रल दिल्ली की जिलाधिकारी निधि श्रीवास्तव अपने उत्कृष्ट प्रशासनिक कार्य के लिए जानी जाती हैं ।
2 सितंबर 1989 को गाजियाबाद में जन्मीं निधि अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। वे बचपन से ही पढ़ने-लिखने में तेज स्टूडेंट रही हैं। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की है। जब उनका चयन सिविल सर्विस के लिये हुआ तब वे कानून में मास्टर्स डिग्री के लिये पढ़ाई कर रही थीं। आईएएस में चयन के बाद उन्हें एजीयूएमटी कैडर मिला। अरुणाचल प्रदेश के सुदूर जिले पूर्वी सियांग में बतौर एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और बाद में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के तौर पर तैनात रहीं। वहां उन्होंने जनजातीय और ग्रामीण इलाके में रह रहे लोगों की समस्या पर जोरदार तरीके से काम किया। साथ ही शहरी नवीनीकरण में पुराने संसाधनों के इस्तेमाल को प्राथमिकता दी जिससे 100 स्मार्ट सिटी में उनके जिले को स्थान मिला और वो सुर्खियों में रहीं। 2012 से 2015 तक यानी तीन साल तक अरूणाचल प्रदेश में रहने के बाद उनका ट्रांसफर राजधानी दिल्ली में हुआ।
सितंबर 2015 में दिल्ली आने के बाद उन्हें दिल्ली जल बोर्ड में रेवन्यू डायरेक्टर बनाया गया। 2.6 मिलियन लोगों को जल की आपूर्ति करने वाले जलबोर्ड को दुरुस्त करने की प्रशासनिक जिम्मेवारी उनकी थी। उन पर दिल्ली जल बोर्ड के राजस्व को सही करने की भी जिम्मेदारी थी। उन्होंने बिना पैसा चुकाये पानी का इस्तेमाल करने वालों की पहचान करवायी और उनके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की, जिससे दिल्ली में कंज्यूमर की संख्या में 15.98 फीसदी का इजाफा हुआ। बिल में 23.76 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई। इससे उनके प्राशासनिक कार्यों की जमकर तारीफ हुई। अप्रैल 2018 में डिप्टी कमिश्नर साउथ दिल्ली बनाया गया। दिल्ली की प्रशासनिक व्यवस्था के अनुसार डीसी या उपायुक्त ही जिलाधिकारी भी कहलाते हैं। अपने कार्यकाल दौरान उन्होंने साउथ दिल्ली में स्वच्छता और विकास के काम को बढ़ावा देने के साथ रिन्युएबल एनर्जी पर जोर दिया। इसके साथ ही उन्हें दिल्ली स्मार्ट सिटी, नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन का सीईओ बनाया गया। निधि श्रीवास्तव 2018 से 2019 तक साउथ दिल्ली में जिलाधिकारी के पद पर रहीं। इस दरम्यान उन्होंने सफलता पूर्वक लोकसभा चुनाव भी करवाया। सितंबर 2019 में निधि श्रीवास्तव सेंट्रल दिल्ली की जिलाधिकारी बनायी गयीं। उनके प्रशासनिक अनुभवों को देखते हुए उन्हें विधानसभा चुनाव का दायित्व भी मिला, जिसे उन्होंने सफलता पूर्वक निभाया।
इस बीच दिल्ली में कोरोना संक्रमण आ धमका। इस कोरोना से जंग में उन्होंने बढ़-चढ़ कर कार्य किया। सेंट्रल दिल्ली में लोगों में जागरूकता, केंद्र और राज्य सरकार की गाइडलाइंस को पालने करवाने में कोई कोताही नहीं की। प्रवासियों को घर भेजने से लेकर सेंट्रल दिल्ली में रह रहे आम लोगों के लिए सरकारी सुविधाओं को मुहैया कराने में पूरी ताकत झोंक डाली है ।वे बिना थके अपने प्रशासनिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं। हालांकि इसी दौरान उन्हें केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुलाने के आदेश जारी हो चुके हैं, लेकिन कोरोना काल में उनके कार्यों को देखते हुए उन्हें बतौर डीएम जारी रखा गया है।
फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता आदि दस मानदंडों पर किये गए सर्वे में सेंट्रल दिल्ली की जिलाधिकारी निधि श्रीवास्तव को कर्मठ श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।