संसदीय परंपरा और जिम्मेदारी की गरिमापूर्ण प्रस्तुति हैं ओम बिड़ला

संसदीय परंपरा और जिम्मेदारी की गरिमापूर्ण प्रस्तुति हैं ओम बिड़ला

17वीं लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला की उदार, हँसमुख और निष्पक्ष छवि ने सभी दलों के सांसदों और राजनेताओं को प्रभावित किया है। राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिड़ला जब से लोकसभा के अध्यक्ष बनाये गये हैं तभी से वे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सभी के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इससे पहले ओम बिड़ला का नाम बतौर श्रेष्ठ सांसद तो चर्चा में था, लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में ज्यादा नहीं सुना गया था। लोकसभा के पहले संसद सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब ओम बिड़ला का नाम नए स्पीकर के लिए नामित किया तो अचानक वह हर ओर चर्चा का विषय बन गये। वे अपने पूर्ववर्ती स्पीकरों की तुलना में ज्यादा अनुभवी नहीं हैं, लेकिन जिस कार्यकुशलता और वाकपटुता से उन्होंने लोकसभा का संचालन किया है, वे हर किसी की प्रशंसा के पात्र बन गये हैं।

भारतीय लोकतंत्र में लोकसभा स्पीकर का पद गरिमा और जवाबदेही का माना जाता है। लोकसभा स्पीकर की कुर्सी पर कौन आसीन होगा इसकी चर्चा लोकसभा गठन होने के साथ शुरू हो जाती है। 17वीं  लोकसभा में भी ऐसा ही हुआ और कई दिग्गजों की चर्चा जोर पकड़ने लगी, लेकिन इन सबके बीच पीएम मोदी और अमित शाह के मास्टर स्ट्रोक ने सबको चौंका दिया।

1962 में जन्मे ओम बिड़ला विनम्र और उदार हृदय के व्यक्ति हैं। वे सियासत की गणित को अच्छे तरीके से समझते हैं। वे कॉमर्स से पोस्ट ग्रैजुएट हैं और अपने काम को लेकर ज्यादा फोकस्ड रहते हैं, लिहाजा बीजेपी ने उन्हें लोकसभा स्पीकर बनाकर ये संकेत दिया है कि केवल सीनियरिटी किसी बड़े दायित्व का पैमाना नहीं हो सकता। इसके अलावा कई बातें उनके पक्ष में हैं। वे राजस्थान सरकार में संसदीय सचिव रह चुके हैं।  इस दौरान उन्होंने लीक से हटकर कई पहलें कीं। 2014 में कई संसदीय समितियों में रहे। उनकी प्रबंधन क्षमता अद्भुत है। लोकसभा में भी वे सभी दलों से तालमेल बिठा कर बड़े ही सौम्य भाव से काम करते हैं।   

लोकसभा स्पीकर संसद के निचले सदन का बॉस माना जाता है। अब जानते हैं आखिर इस पद तक पहुंचे ओम बिड़ला  का राजनीतिक सफर कैसा रहा। दरअसल वे राजस्थान में बीजेपी के गढ़ हाडौती क्षेत्र से आते हैं। छात्र राजनीति से उभरे ओम 4 साल तक कोटा जिले में बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे। 6 साल तक राजस्थान बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे। 1997 से 2003 तक युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे।ओम बिड़ला ने 2003 में कोटा (साउथ) सीट से अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता। उन्हें 2008 में फिर से असेंबली चुनावों में जीत मिली और इसके बाद वे 2013 में तीसरी बार विधायक बने। 2014 में 16 वीं लोकसभा के चुनाव में पहली बार सांसद बने। उन्हें उन्हें प्राक्कलन समिति, याचिका समिति, ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति, सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया। फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में वे दोबारा इसी सीट से सांसद बने।

बतौर लोकसभा स्पीकर वे लोकसभा की कार्यवाही को लेकर गंभीर रहते हैं। लोकसभा की मर्यादा का पूरा ख्याल रखते हैं और समय-समय पर सांसदों को उनकी गरिमा का भी भान कराने से भी नहीं चूकते। पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि देश की संसदीय परंपरा में अपनी बात को रखने की बजाय हंगामा बढ़ा है। विपक्ष और सत्ता पक्ष में संसद में तीखी नोंकझोंक और नारेबाजी से स्पीकर का दायित्व काफी बढ़ गया है। ऐसे में लोकसभा की कार्यवाही को  सुचारु तरीके से चलाना स्पीकर की जिम्मेदारी हो गयी है। व्यवहार कुशल लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला समाज के प्रति भी बेहद संवेदनशील हैं। राष्ट्र सेवा, जरूरतमंदों की मदद और दिव्यांगों की सहायता में उनकी रुचियों में शामिल है। वे सामाजिक संगठनों के माध्यम से  दिव्यांग, कैंसर रोगी और थैलेसेमिया के रोगियों की मदद करते हैं।

लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला सीनियर का सम्मान और युवाओं को साथ लेकर चलने में विश्वास करते हैं। वे ऊर्जावान नेता हैं। वे जरूरतमंदों, बेसहारा महिलाओं और दिव्यांगों की सेवा को समर्पित हैं। पर्यावरण से उन्हें बेहद लगाव है। उन्होंने ग्रीन कोटा वन अभियान लॉन्च किया और एक लाख पेड़ लगवाये। वर्ष 2006 में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आजादी के स्वर नामक प्रोग्राम में उन्होंने 15 हजार से अधिक अधिकारियों को सम्मानित किया था।

अपनी दूरदर्शी, विकासपरक कार्यशैली, व्यक्तित्व, छवि और जन कल्याणकारी योजनाओं के कारण विशिष्ट पहचान रखने वाले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला फेम इंडिया मैगजीन-एशिया पोस्ट सर्वे के 50 प्रभावशाली व्यक्तिय 2020 की सूची में 19वें स्थान पर हैं।