जैव प्रौद्योगिकी रिसर्च को नयी दिशा देती डॉ. रेणु स्वरूप

जैव प्रौद्योगिकी रिसर्च को नयी दिशा देती डॉ. रेणु स्वरूप

देश की मशहूर साइंटिस्ट डॉ. रेणु स्वरूप जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव हैं। वैसे तो वे अनेक खोजों से जुड़ी हैं, लेकिन हाल के महीनों में कोरोना संक्रमण से जारी हुई जंग में वे भारतीय टीम की एक अहम सदस्य बन गयी हैं। वे भारत सरकार की साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री में डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक की प्रमुख हैं और  देश के सबसे बड़े माइक्रोबियल रिसोर्स सेंटर की स्थापना का श्रेय उन्हें ही जाता है। 

डॉ. रेणु स्वरुप  का मानना है कि जैव प्रौद्योगिकी विज्ञान का एक ऐसा क्षेत्र है जो मानवीय जीवन को निरंतर प्रभावित करती है। भारत ने जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल की है और इसे आगे बढ़ाने के रिसर्च पर जोर देते रहना होगा। स्वरूप ने जेनेटिक्स और प्लांट ब्रीडिंग में पीएचडी की है। उन्होंने पोस्ट डॉ़क्टरल वर्क जॉन इन्स सेंटर नॉरविच यूके से किया है। वे 1989 में भारत लौटीं । इसके बाद उन्हें भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायो-टेक्नोलॉजी में साइंस मैनेजर का दायित्व मिला। 
 
डॉ. रेणु स्वरूप बायो-टेक्नोलॉजी में  रिसर्च को बढ़ावा देने में विश्वास रखती हैं। वे युवा साइंटिस्टों को आगे लाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहती हैं। हाल ही में उनकी कोशिशों की वजह से राजस्थान में जैव प्रौद्योगिकी इनक्यूबेशन सेंटर खोला गया है। इसमें भारत सरकार और राजस्थान सरकार के बीच एक एमओयू बना है  जिससे युवा साइंटिस्ट को रिसर्च और रोजगार दोनों के बेहतर अवसर प्राप्त होंगे। हालांकि वे इसी साल अवकाश प्राप्त करने वाली थीं, लेकिन उनके उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए केंद्र सरकार ने अप्रैल में उनके कार्यकाल को एक साल के लिए बढ़ा दिया है। यह इसलिए भी काफी अहम है क्योंकि कोरोना काल में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने कोरोना की जो वैक्सीन विकसित किया है उसका ट्रायल भारत सरकार के इसी विभाग की देखरेख में चल रहा है। ट्रायल के दो दौर पूरे हो चुके हैं। भारत में अंतिम चरण का ट्रायल शुरू होने वाला है। इसके लिए पांच जगहों का चुनाव किया गया है।
डॉ. रेणु स्वरूप ने महिला रिसर्चर्स को बढ़ावा देने के साथ महिला किसानों को बायो-टेक्नोलॉजी की मदद से सशक्त बनाने के अनेकों प्रयास किए हैं। उन्होंने महिलाओं के लिए चावल उत्पादन में 'उन्नति' प्रोग्राम को  दो चरण में पूरा किया। इतना ही नहीं उन्होंने महिला वैज्ञानिकों को समाज के प्रति अपने अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक लाख तक के अवॉर्ड का ऐलान किया है। 

जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ रेणु स्वरूप बायो साइंस से बायो-इकोनॉमी की ओर लगातार आगे बढ़ने में भी अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने सरकारी लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए सदैव लगन से काम किया है। वर्ष 2025 तक भारत को जैव प्रौद्योगिकी आधारित 100 बिलियन डॉलर की अर्थव्यस्था के रूप में विकसित करने के उद्देश्य पर  जोर है। साथ ही जेनेटिक इंजीनियरिंग की मदद से उन्नत किस्म की फसलों की प्रजाति पर काम करना उनकी प्राथमिकता है ताकि देश में पैदावार बढ़े और किसानों को लाभ मिले। 

डॉ. रेणू स्वरूप  स्वभाव से  गंभीर महिला हैं। उन्होंने जैव-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपने तीन दशक के अनुभव से देश को सदैव लाभान्वित किया है। प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार समिति  ने  साइंस में महिलाओं के लिए जिस टास्क फोर्स का गठन किया है उसमें वे भी एक अहम सदस्य हैं। वे महिलाओं के लिए विकासशील देशों की साइंस संगठन की भी सदस्य हैं। अपने उत्कृष्ट कामों के लिए वे वर्ष 2012 में 'बायोस्पेक्ट्रम पर्सन ऑफ द ईयर' अवार्ड पा चुकी है। इसके साथ ही वे एग्रीकल्चर रिसर्च अवार्ड 2019 और साथ ही बी डब्ल्यू सबसे प्रभावशाली महिला का सम्मान भी पा चुकी है। देश में माइक्रोबियल डाइवर्सिटी रिसर्च में उनके सराहणीय कार्य को देखते हुए जैविक विविधता अधिनियम 2002 के प्रावधानों में बदलाव कर आसान बनाया गया है। 2020 में नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस ने नयी माइक्रोबियल प्रजाति की खोज की जिसका  नाम रेणु स्वरूप के सम्मान में  नैट्रियलबा स्वारूपे रखा गया है। वे फेम इंडिया मैगजीन-एशिया पोस्ट सर्वे के 50 प्रभावशाली व्यक्ति 2020 की सूची में वें स्थान पर हैं।