दक्षता से प्रशासनिक कार्यो को निभाने वाले जिलाधिकारी है रागुल के

इसरो और रिलायंस की नौकरी छोड़ कर जनसेवा में उतरे हैं रागुल

दक्षता से प्रशासनिक कार्यो को निभाने वाले जिलाधिकारी है रागुल के

जिओ इंफॉर्मेटिक्स विषय मे बीटेक की डिग्री, आईआईएम से मैनेजमेंट में डिप्लोमा, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो में वैज्ञानिक और फिर रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड में लाखों रुपये का पैकेज। इसके बावजूद रागुल के. को आकर्षित कर रहा था एक ऐसा करीयर जिसमें संभावना थी दुर्गम इलाकों में समाज की समस्याओं से जूझने की जिम्मेदारी मिलने की। सबकुछ जानते हुए भी उन्होंने ये जिम्मेदारी उठाई और आज वे एक लोकप्रिय जिलाधिकारी हैं। बेहद सुलझे और विनम्र रागुल के. वर्तमान में साउथ सिक्किम के जिला उपायुक्त हैं।  

तमिलनाडु के शिक्षित मध्यमवर्गीय परिवार में एल. कस्तुरीरंगन और के.कोकिला के घर 18 सितंबर 1986 को रागुल के. का जन्म रानीपेट जिले के वाजापेट में हुआ। उन्होंने  रानीपेट के वेदवल्ली  विद्यालय से और रामकृष्ण सीनियर सेकेंड्री स्कूल से बारहवीं किया।  रागुल के. ने अन्ना यूनिवर्सिटी चेन्नई  के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से जिओ इंफॉर्मेटिक्स से बीटेक करने के बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, बैंगलोर से एमबीए भी किया।  वर्ष 2008-09 में वे रिजनल रिमोट सेंसिंग सर्विस सेंटर, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन नागपुर में वैज्ञानिक थे।  इसके बाद उन्होंने रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड ज्वाइन किया, लेकिन उनका मन इन सब से हटकर कुछ अलग करने का था, लिहाजा एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज में जाने का मन बनाया और वर्ष 2012 में यूपीएससी की परीक्षा में कामयाबी हासिल की।  उन्हें सिक्किम कैडर मिला ।  

रागुल के.को साउथ सिक्किम के नामची में  बतौर प्रशिक्षु असिस्टेंट कलेक्टर बनाया गया। वे करीब एक साल तक नामची के एसडीएम भी रहे। इसके बाद वे गैंगटोक के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट बनाये गये। डेढ़ वर्ष वहाँ रहे, और इस दौरान उनकी छवि एक सुलझे हुए ईमानदार ऑफिसर की बनी। उन्होंने लोगों को सरकार की योजनाओं से लोगों को जोड़ा। उन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा दिया, और साथ ही किसानों को उनकी उपज की अच्छी कीमत मिले इसलिए मिडलमैन के प्रचलन पर रोक लगाते हुए ऐसी व्यवस्था को बढावा दिया जिसमें किसानों को सीधे अपने प्रोडक्ट्स बेचने का अवसर प्राप्त हो। 

राहुल के. दो वर्षों के लिए सिक्किम कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन के मैनेजिंग डायरेक्टर भी बनाये गये। इस दौरान उन्होंने दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के तमाम प्रयासों के साथ ही दुग्ध उत्पादकों की स्थिति को बेहतर बनाने पर भी अच्छा कार्य किया । 

फरवरी 2019 में रागुल के को साउथ सिक्किम का डिप्टी कमिश्नर बनाया गया। वे पहले भी यहां बतौर एडीएम, एसडीएम कार्य कर चुके थे। जिले में विकास की संभावनाओं से परिचित रागुल के. ने  मक्का की खेती, रोजगार के अवसरों और पर्यटन की संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित किया। परिणाम ये हुआ कि वहाँ की बेहतर प्रशासनिक कार्यों की वजह से जल्दी ही उनकी छवि साउथ सिक्किम के लोगों के बीच एक लोकप्रिय जिलाधिकारी की बन गयी।

कोरोना संकट के दौर में  बतौर जिलाधिकारी रागुल के. जागरूकता, सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य सावधानियों पर विशेष ध्यान दे कर साउथ सिक्किम में कोरोना के संक्रमण को रोकने में सक्षम माने जा रहे हैं। फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा  शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता आदि दस मानदंडों पर किये गए सर्वे में दक्षिण सिक्किम  के जिलाधिकारी  रागुल के " दक्ष " श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।