जन-भागीदारी और जवाबदेही को तरजीह देते नरेंद्र कुमार मीणा

बीएचयू में प्राध्यापक रह चुके हैं नरेंद्र

जन-भागीदारी और जवाबदेही को तरजीह देते नरेंद्र कुमार मीणा

अब बात एक ऐसे शख्स की जिन्होंने बचपन से देखा था आईएएस अधिकारी बनने का सपना, लेकिन किस्मत ले आयी शिक्षा के क्षेत्र में शीर्ष पर। फिर भी उन्होंने अपना इरादा नहीं बदला और एक अहम मुकाम हासिल कर लेने के बाद भी प्रशासनिक अधिकारी बनने की तैयारी कर अपना लक्ष्य पा कर रहे। इनका नाम है डॉक्टर नरेंद्र कुमार मीणा जो 2010 बैच के आईएएस अधिकारी  हैं और देवभूमि द्वारका के जिलाधिकारी हैं।

राजस्थान के दौसा जिला के झाझीरामपुरा  में 31 अगस्त 1983 को जन्मे नरेंद्र कुमार मीणा पढ़ने लिखने में शुरू से ही काफी अच्छे स्टूडेंट रहे। ग्रामीण पृष्ठभूमि के नरेंद्र की बचपन से साहित्य में गहरी रूचि थी। उन्हें बैंडमिंटन खेलना काफी पसंद था। उन्होंने जयपुर के राजस्थान यूनिवर्सिटी से हिंदी में एमए, एमफिल और पीएचडी किया। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे। 2007 से अगस्त 2010 तक बीएचयू में छात्र को पढ़ते रहे। इस दौरान उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी की और आईएएस बनने में सफल हुए। 

 ब्यूरोक्रेसी में आने के बाद इनकी पहली नियुक्ति गुजरात के वलसाड में हुई जहां उन्होंने जल प्रबंधन, वन और उद्योगों का विकास करना सीखा। इसके बाद हलोल में असिस्टेंट कलेक्टर बने। यहां उन्हें विधानसभा चुनाव करवाने का अनुभव मिला। इसके बाद फरवरी 2014 में मेहसाणा के डिस्ट्रिक्ट डेवल्पमेंट ऑफिसर बने। लोहा और स्टील उद्योग के लिए प्रसिद्ध मेहसाणा में उन्होंने पर्यावरण के लिये काफी काम किया। इसके बाद उन्हें राज्य के वडोदरा जिले में डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर बनाया गया। यहां उन्होंने स्वच्छता मिशन के प्रति लोगों को जागरूक किया। वर्ष 2016 में वड़ोडरा को स्मार्ट सिटी बनाने के लिये उन्होंने दिन-रात एक करके काम किया। डॉक्टर नरेंद्र कुमार मीणा ने वडोदरा के लोगों से स्मार्ट सिटी से जोड़ने के लिए फीड बैक लिया। इसके तहत व्हाट्सऐप्प, ट्विटर और फेसबुक के जरिये लोगों से राय मांगी गयी। करीब एक लाख पचहत्तर हजार लोगों ने सकारात्मक रेस्पॉस दिया, जिससे स्मार्ट सिटी के लिए चलाये जा रहे प्रोजेक्ट्स में सुधार और नयी योजनाओं के बारे में प्रशासन को राय मिली। लोगों ने जिला प्रशासन से जुड़ कर स्मार्ट सिटी को अपने मन माफिक बनवाने के लिए वेस्ट मैनेजमेंट, क्राइम कंट्रोल, हेल्थ और ट्रांसपोर्ट पर अहम सझाव दिये। इस तरह प्रशासन में आम जन की भागीदारी बढ़ाकर नरेद्र कुमार मीणा ने अपनी अलग पहचान बनायी।

इसके बाद नरेंद्र कुमार मीणा को अगस्त 2017 में प्रदेश मुख्यालय गांधीनगर में एडिशनल डेवल्पमेंट कमिश्नर बनाया गया। यहां उन्होंने मुख्य तौर पर पंचायतों के आधुनिकीकरण पर कार्य किया और गुजरात के करीब 14,000 पंचायतों के विकास की विस्तृत रूपरेखा तैयार की। उनकी बनायी योजना पर राज्य सरकार अब कार्य भी कर रही है।  

डॉक्टर नरेंद्र कुमार मीणा के प्रशासनिक अनुभव और काम को प्राथमिकता मिली । फरवरी 2019 में उन्हें देवभूमि द्वारका का जिलाधिकारी बनाया गया। पिछले साल जून में आये भयंकर तूफान वायु के बचाव कार्य में उनकी बड़ी भूमिका रही और उन्होंने 50 हजार लोगों को समय रहते सुरक्षित इलाके में शिफ्ट करवाया। नतीजा ये रहा कि एक भी व्यक्ति की जान नहीं गयी।  उन्होंने कोरोना काल में समुद्र मार्ग के जरिये विदेशों से आने वालों को क्वारंटीन करवाने में सख्ती से कार्य किया। द्वारकाधीश मंदिर के ऑनलाइन दर्शनों की शुरुआत उन्होंने अप्रैल में ही करवा दी। किसानों को फसल बीमा योजना के तहत उन्होंने देश में सबसे अधिक 450 करोड़ रुपये दिलवाये। वे जन भागीदारी और बेहतरीन कार्य के लिए जाने जाते है। ऐसे में फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा  शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता आदि दस मानदंडों पर किए गए सर्वे में देवभूमि द्वारका के जिलाधिकारी  डॉ नरेंद्र कुमार मीणा को "शोहरतमंद" श्रेणी में प्रमुख स्थान मिला है।