कमजोर वर्ग की अनुकरणीय मदद करने वाले उद्योगपति आनंद महिंद्रा

कमजोर वर्ग की अनुकरणीय मदद करने वाले उद्योगपति आनंद महिंद्रा

आनंद महिंद्रा महिंद्रा समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं। स्टील ट्रेडिंग कंपनी के रूप में स्थापित महिंद्रा ग्रुप आज कृषि व्यवसाय से लेकर एयरोस्पेस तक कई क्षेत्रों में मौजूद है। यह ग्रुप देश के कई प्रतिष्ठित औद्योगिक घरानों में से एक माना जाता है।आनंद महिंद्रा के कार्य-कुशलता  की बदौलत भारत सहित विश्व के अनेक देशों में महिंद्रा ट्रैक्टर, बोलेरो,  एक्सयूवी500 और महिंद्रा स्कॉर्पियो सरीखे वाहन ‘महिंद्रा उद्योग समूह’ की पहचान बन गए हैं।  वित्तीय सेवाओं, पर्यटन, इंफ्रास्ट्रक्चर डेव्हलपमेंट, ट्रेड एवं लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों में भी इस समूह की अहम भागीदारी है।

आनंद महिंद्रा का जन्म 1 मई, 1955 को मुंबई में हुआ । 1977 में उन्होंने अमेरिका के हार्वर्ड कॉलेज  के ‘डिपार्टमेंट ऑफ विजुअल एंड एनवायरॉनमेंटल स्टडीज’ से ग्रेजुएट किया । 1981 में आनंद ने  ‘हार्वर्ड बिजनेस स्कूल’ बोस्टन से ‘बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन’ में मास्टर्स की डिग्री हासिल की । आनंद महिंद्रा 1981 में भारत लौटे, उन्होंने ‘महिन्द्रा यूजाइन स्टील कंपनी में वित्त निदेशक के कार्यकारी सहायक के रूप में अपना पहला कार्यभार ग्रहण किया। 1989 में जब महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह का विस्तार हुआ तो ये ‘रियल स्टेट डेवलपमेंट और हॉस्पिटैलिटी’ इकाई के अध्यक्ष बने।  उन्होंने 1997 में कंपनी में प्रबंध निदेशक की जिम्मेदारी ली और इसके बाद 2003 में वे कंपनी के वाइस चेयरमैन बनाए गए ।  इसके अतिरिक्त वे  ‘कोटक महिंद्रा फाइनेंस लिमिटेड’ के को-प्रमोटर बने और 2003 में उन्होंने इसे बैंक के रूप में तब्दील कर दिया। वर्ष 2002 में महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह ने स्वदेशी तकनीकी से एसयूवी के नए मॉडल को ‘स्कार्पियो’ नाम से लांच किया। जिसने कंपनी को वैश्विक स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाने में सकारात्मक भूमिका निभाई है। महिंद्रा ने ‘सत्यम् कंप्यूटर सर्विसेज’ को  2009 में और 2010 में ‘रेवा इलेक्ट्रिक व्हीकल्स’ और ‘स्संग्योंग मोटर कंपनी’ को भी अधिगृहीत किया। इतना ही नहीं आनंद ने रेनो, निसान और इंटरनेशनल ट्रक एंड इंजन कारपोरेशन कंपनी  अमेरिका के सहयोग से स्थापित किया ।

आनंद आधुनिक सोच के उद्योगपति है। आनंद महिंद्रा ने अपनी मां इंदिरा महिंद्रा के नाम पर हार्वर्ड विश्वविद्यालय को 100 करोड़ डॉलर का योगदान दिया।  उन्होंने हैदराबाद के पास महिंद्रा विश्वविद्यालय भी शुरुआत की है , वे सोशल मीडिया पर बेहद एक्टिव हैं । कोरोना काल में उन्होंने एक इलेक्ट्रिक ऑटो चलाने वाले युवक की क्रिएटिविटी को देखकर रिसर्च एंड डेवलपमेंट स्टाफ के तौर पर नौकरी ऑफर किया । भले ही आनंद लंबे लॉकडाउन के विरोधी थे, लेकिन कोरोना काल में उन्होंने अपनी पूरी सैलरी जरूरतमंदों के इलाज के लिए दान कर दिया है । 2004 में फ्रांस के राष्ट्रपति ने  आनंद महिंद्रा  को  विशेष सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ मेरिट’ से सम्मानित किया ।  वे 26 जनवरी 2020 को 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किए गए।