भारतीय पुलिस के शरलॉक होम्स हैं दक्ष आईपीएस अनुराग गर्ग
भारतीय पुलिस के शरलॉक होम्स हैं दक्ष आईपीएस अनुराग गर्ग
अनुराग गर्ग हिमाचल प्रदेश कैडर के एक आईपीएस अधिकारी हैं जिसे भारत का शरलॉक होम्स कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। उनके नाम हिमाचल प्रदेश और सीबीआई में कार्य करने के दौरान कई संवेदनशील और अनसुलझे केस को सुलझाने का श्रेय है। हिमाचल प्रदेश जैसे संवेदनशील सीमावर्ती राज्य में वे बतौर एडीजी सफलतापूर्वक सतर्कता की कमान संभाल रहे हैं। 13 जुलाई 1967 को जन्मे अनुराग गर्ग मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने वर्ष 1988 में नई दिल्ली के प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। अनुराग गर्ग ने एमडीआई, गुड़गांव से पब्लिक पॉलिसी में पीजी डिप्लोमा भी किया और ये नेशनल डिफेंस कॉलेज, दिल्ली के एल्यूमनाई भी हैं। वर्ष 1993 में आईपीएस में चयन के बाद उन्हें हिमाचल कैडर मिला। शुरुआत हुई शिमला में एएसपी के तौर पर फिर गवर्नर के एडीसी बने। बतौर एसपी बिलासपुर और कुल्लू जिलों की कमान संभाली। वर्ष 2000 के अंत में उन्हें यूनाइटेड नेशंस के महत्त्वपूर्ण कोसोवो मिशन में शामिल किया गया जहां उन्हें कई महत्वपूर्ण स्टेशनों की कमान सौंपी गई। अनुराग गर्ग जब स्वदेश वापस लौटे तो सेंट्रल डेप्युटेशन पर सीबीआई में काम करने का मौका मिला जिसमें एंटी करप्शन ब्रांच के एसपी और एआईजी के पदों की अहम जिम्मेदारियां निभाईं। उन्होंने 70 से भी अधिक हाई प्रोफाइल मामले सुलझाये जिनमें कई उच्चाधिकारी, पूर्व मंत्री और राजनेता आरोपी थे। करीब 200 मामलों की जांच उनके अधीन रही जिनमें उनकी विशेषज्ञता की चर्चा आज भी होती है। वर्ष 2008 में हिमाचल प्रदेश में अनुराग गर्ग मंडी के डीआईजी बने। इस दौरान अनुराग गर्ग ने जनता को बेहतर सुरक्षा और पुलिस सेवा के लिए कई सिस्टेमैटिक रिफॉर्म किए। उनकी वैज्ञानिक सोच और विश्लेषण क्षमता को देखते हुए उन्हें प्रदेश सरकार के एंटी करप्शन ब्यूरो का डीआईजी बनाया गया। जब वे आईजी बने तो कुछ ही दिनों बाद एक बार फिर इसी ब्यूरो की कमान सौंप दी गई। सीबीआई में मिला उनका अनुभव यहां खासा काम आया और उन्होंने लगभग 500 शिकायतों व 200 से भी अधिक मामलों को सफलतापूर्वक निपटाया। वर्ष 2011 में सीबीआई ने हिमाचल सरकार से अनुरोध कर अनुराग गर्ग को एक बार फिर दिल्ली बुलाया। उनकी निर्भीक और निष्पक्ष कार्यशैली को देखते हुए उन्हें स्पेशल क्राइम का डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल बनाया गया। फिर कुछ वर्षों बाद उन्हें एडमिनिस्ट्रेशन का ज्वाइंट डायरेक्टर बनाया गया और साथ ही इंटरपोल जैसे अहम विभाग का भी चार्ज दिया गया। सीबीआई के साथ इस बार के अपने छह वर्षों के कार्यकाल में वे दिल्ली जोन के ज्वाइंट डायरेक्टर पद पर भी रहे। इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों का कार्यभार संभाला जिनमें कोकराझार, असम के दंगे, कुंडा मर्डर केस और देश में बड़े पैमाने पर चल रहे मानव तस्करी मामले का पर्दाफाश शामिल था। वे सीबीआई की सबसे प्रमुख मानी जाने वाली सीएफएसएल लैब केस के भी सुपरवाइजर रहे। फरवरी 2018 में जब अनुराग गर्ग वापस हिमाचल प्रदेश पहुंचे तो उन्हें एडीजी लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने कानून और व्यवस्था की स्थिति को दुरुस्त कर दिया, लेकिन जल्दी ही उन्हें उनके सर्वाधिक अनुभव वाले विभाग यानी एंटी करप्शन ब्यूरो की कमान तीसरी बार सौंप दी गई। एसीबी व सतर्कता विभाग की कमान हाथ में आते ही अनुराग गर्ग ने विभाग की कार्यशैली में कई प्रभावशाली बदलाव किए, जिसकी वजह से कई सरकारी अधिकारी सहित वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट्स के भी भ्रष्टाचार के मामले सामने आए। अनुराग गर्ग वर्ष 2009 में मेरिटोरियस सर्विस के लिये और वर्ष 2016 में विशिष्ट सेवा के लिये राष्ट्रपति पदकों से भी सम्मानित हो चुके हैं।
फेम इंडिया मैगजीन-एशिया पोस्ट द्वारा किये गये "25 उत्कृष्ट आईपीएस 2020" के वार्षिक सर्वे में हिमाचल प्रदेश विजिलेंस विभाग के पुलिस एडीजी अनुराग गर्ग, "दक्ष' श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।