बुलंद इरादों के कर्मयोगी हैं जालोर के सांसद देवजी पटेल

बुलंद इरादों के कर्मयोगी हैं जालोर के सांसद देवजी पटेल

बुलंद इरादों के कर्मयोगी हैं जालोर के सांसद देवजी पटेल

कहते हैं अक्सर अभाव इंसान को तोड़ देता है, लेकिन कई ऐसे मजबूत इरादों वाले होते हैं जो इस कमजोरी को ही हथियार बना कर परिस्थितियों से जीत जाते हैं। राजस्थान-गुजरात की सीमा पर बसे जालौर के सांसद देवजी पटेल ऐसे ही एक करिश्माई राजनेता हैं। उन्होंने उच्च शिक्षा के अभाव में हार कर अपना घर-बार छोड़ा, तो विजेता बनकर वापस लौटे और सबकुछ जीत लिया।  देवजी पटेल का जन्म 25 सितम्बर 1976 जाजुसर, सांचोर, जालौर (राजस्थान) में हुआ। उनके पिता मानसिंगराम और माँ मीरादेवी हैं। उन्होंने स्थानीय स्कूल में मैट्रिक तक की पढ़ाई की और आगे की शिक्षा के लिये अहमदाबाद चले गये। वहां उनका मन पढ़ाई के बदले व्यापार में रम गया और उन्होंने स्टील पाइप का व्यापार शुरू किया। धार्मिक विचारों वाले देवजी ने अपनी फर्म का नाम रखा 'डिवाइन ट्यूब्स' प्राइवेट लिमिटेड। व्यापार बढ़ने पर देवजी वापस अपने गांव लौटे और वहां इसी नाम से एक हाई स्कूल भी खोला। डिवाइन नाम से ही समाजसेवा और व्यापार से जुड़े कई अन्य कार्यक्रमों को शुरू किया। लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि भारतीय जनता पार्टी यानि बीजेपी ने 2009 में 15वीं लोकसभा के लिये प्रत्याशी बनाया और उन्हें शानदार जीत हासिल हुई। इसके बाद 2014 में और फिर 2019 में वे क्रमशः 16वीं और 17वीं लोकसभा के लिये निर्वाचित हुए।देवजी पटेल की खास बात यह है कि वे किसी भी गरीब की सहायता करने में सबसे आगे रहते हैं। स्थानीय लोगों के लिए देवजी पटेल एक मसीहा के तौर पर जाने जाते हैं। जालोर सिरोही में एक बार बाढ़ आने पर उन्होंने खुद लोगों की मदद के लिए गांव गांव जा कर सभी की सहायता की थी। मंडार के पास वे खुद भी बाढ़ में फंस गये थे, लेकिन तब भी समाजसेवा के लिये उनका जज्बा कम नहीं हुआ। 15वीं और 16वीं दोनों ही लोकसभा में भी वे राजस्थान के सर्वश्रेष्ठ सक्रिय पांच सांसदों की सूची में शामिल रहे। इन्होंने भारत के सक्रिय युवा सांसद के रूप में अपनी पहचान बनायी है। वर्तमान में वे भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी में सदस्य हैं। 17वीं लोकसभा में मिली शानदार जीत के बाद से देवजी पटेल संसद में काफी सक्रिय हैं। संसद में उन्हें कृषि मामलों की स्तायी समिति का सदस्य बनाया गया है। उन्होंने पहले दो सत्रों में ही 27 बहसों में सक्रिय भागीदारी निभायी है और 69 प्रश्न व एक पूरक प्रश्न पूछे। उनके प्रश्न कृषि, युवा मामले, श्रम एवं रोजगार, युवा मामलों और रेलवे आदि से संबंधित हैं। उन्होंने डेयरी उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने, मवेशियों के लिये चारा प्रोटेक्शन बोर्ड बनाने व देसी गायों के संरक्षण संबंधी तीन प्राइवेट बिल पेश किये हैं। दोनों सत्रों को मिलाकर सदन में उनकी कुल उपस्थिति 86% रही है। देवजी पटेल को देसी खेलों में काफी गहरी रुचि है और वे खोखो, कबड्डी और रिंग जैसे खेलों को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने में जुटे हैं। वे अखिल भारतीय युवा संगठन, श्री रूपाजी ट्रैक चैरिटेबल ट्रस्ट, सरदार पटेल चैरिटेबल ट्रस्ट आदि कई स्वयंसेवी संस्थाओं के अध्यक्ष हैं।