साइबर सिक्योरिटी में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त पहले आईपीएस हैं डॉ. वरुण कपूर

साइबर सिक्योरिटी में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त पहले आईपीएस हैं डॉ. वरुण कपूर

साइबर सिक्योरिटी में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त पहले आईपीएस हैं डॉ. वरुण कपूर

एशिया के गिने-चुने साइबर एक्सपर्ट ऑफिसर्स में प्रमुख नाम है मध्य प्रदेश कैडर के एडीजी डॉ. वरुण कपूर का। साइबर क्राइम के खिलाफ चलाये जाने वाले उनके अभियानों के लिये उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति तो मिली ही हुई है, लॉ एंड ऑर्डर और पुलिसिंग में सुधार के लिये भी उन्हें एक मिसाल के तौर पर माना जाता है। उन्होंने 100 से ज्यादा हत्या के ऐसे मामलों को दोबारा खोल कर सॉल्व किया, जो वर्षों से बंद पड़े थे या भुला दिये गये थे। इस उपलब्धि के लिए उनका नाम वर्ल्ड बुक आफ रिकॉर्ड में दर्ज है। साथ ही साईबर सिक्युरिटी अवेयरनेस के लिए दुनिया भर में करीब 700 से ज्यादा वर्कशॉप, ट्रेनिंग प्रोग्राम और लेक्चर आयोजित करने के लिए भी डॉ. वरुण कपूर का नाम वर्ल्ड बुक आफ रिकॉर्ड्स, लंदन में शामिल हैं।  बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में तेज रहे वरुण ने त्रिची के प्रतिष्ठित एनआईटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल कर मशहूर उद्योगपति धीरूभाई अंबानी के पर्सनल एक्जक्यूटिव ऑफिसर के तौर पर भी कार्य किया। उनकी इच्छा उच्च शिक्षा के लिये विदेश जाने की थी, लेकिन माता-पिता के कहने पर सिविल सेवा परीक्षा में शामिल हुए। 14 मई 1967 को इंदौर में जन्मे वरुण कपूर के पिता आर पी कपूर मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी थे जो बाद में प्रदेश के मुख्य सचिव भी बने। वरुण कपूर ने 1991 बैच के आईपीएस में सर्वोच्च रैंक प्राप्त किया और उन्हें मध्य प्रदेश कैडर मिला। वे इंदौर के सीएसपी और एसपी के अलावा धार, सीहोर व रतलाम जिले में एसपी तथा छतरपुर, रतलाम और उज्जैन में डीआईजी रह चुके हैं। जब वे रेडियो ट्रेनिंग के आईजी बने तो उन्होंने साइबर क्राइम के विरुद्ध जागरुकता के लिये ब्लैक रिबन अभियान शुरू किया जिसके तहत सैकड़ों कार्यशालाएं आयोजित कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति बटोरीं। नारी सुरक्षा की दिशा में उन्होंने इंदौर में पहला महिला परामर्श केंद्र वर्ष 1994 में स्थापित किया था जिसे परिवार केंद्र के रूप में पूरे राज्य में लागू किया गया। वर्ष 1995 में उन्होंने नगर सुरक्षा समिति की स्थापना की जिसे बाद में पूरे राज्य के लिए एक मॉडल के रूप में अपनाया गया। युवाओं को नशा मुक्त करने के लिये उनके नेतृत्व में "साहस" अभियान के तहत कॉलेज और स्कूली छात्रों के लिये राज्य भर में 10,000 से अधिक बच्चों को सीधे तौर पर और लाखों को विशेष फिल्मों, कैलेंडर व डिजिटल माध्यमों से जागरूक किया गया। उनके अन्य प्रयासों में घाट सुरक्षा योजना, औद्योगिक क्षेत्र शांति योजना, मातृ छाया अभियान, आरोग्य शिशु अभियान आदि बेहद सफल रहे हैं। डॉ. वरुण कपूर बोस्निया-हर्ज़ेगोविना व जॉर्जिया आदि में संयुक्त राष्ट्र मिशन के अनुसंधान प्रमुख के तौर पर कार्य कर चुके हैं। वे अमेरिकी सरकार के न्याय विभाग के प्रमाणित प्रशिक्षक और यूके में फंडिंग इंटरनेशनल डेवलपमेंट विभाग के मास्टर ट्रेनर भी रह चुके हैं। डॉ. वरुण कपूर एक चर्चित स्तंभकार और लेखक हैं। साईबर क्राईम और नारकोटिक्स पर उनके रिसर्च विश्व भर की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. वरुण वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर भी हैं और 2019 में उनकी किताब "कॉप विथ ए कैमरा- वाइल्डरनेश डायरी" प्रकाशित हुई है। वरुण कपूर वर्ष 2008 में सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति से पुलिस पदक प्राप्त कर चुके हैं। उन्हें वर्ष 2009 में वीरता के राष्ट्रपति पुलिस पदक से लिये भी नामित किया गया। इसके अलावा वर्ष 2017 में प्रशिक्षण में उत्कृष्टता के लिये केंद्रीय गृह मंत्री का पदक भी उन्होंने प्राप्त किया है।

फेम इंडिया मैगजीन - एशिया पोस्ट के "25 उत्कृष्ट आईपीएस 2020" के वार्षिक सर्वे में मध्य प्रदेश के एडीजी वरुण कपूर "जागरुक"  श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।