चमकते सूर्य की तरह प्रेरक सुधीर मुनंगटीवार
महाराष्ट्र की राजनीति में सुधीर सच्चिदानंद मुनंगटीवार का नाम एक ऐसे सूर्य की तरह चमकता रहा है जिसे किसी भी दांव-पेंच के बादल में छिपाया नही जा सकता। वे भाजपा नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं और छह बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। वे महाराष्ट्र के कद्दावर भाजपा नेताओं में गिने जाते हैं।
सुधीर मुनगंटीवार का जन्म 30 जुलाई, 1962 को विदर्भ के चंद्रपुर जिले में हुआ था। वे उच्च शिक्षा प्राप्त राजनेता हैं और उन्होंने एमकॉम, एलएलबी, एमफिल, डीबीएम और बीजे जैसी कई डिग्रियां प्राप्त की हैं।। राजनीति की शुरुआत उन्होंने महज 17 साल की उम्र में की सरदार पटेल कॉलेज के यूनियन चुनाव के साथ जहां उन्होंने छात्र संघ के महासचिव का पद हासिल किया। वर्ष 1981 में, वे चंद्रपुर शहर में भाजपा के सचिव बने। वर्ष 1995 में वे पहली बार चंद्रपुर विधान सभा के लिये चुने गये, फिर वहां से लगातार तीन बार विधायक चुने गये। वर्ष 2008 में हुए डिलिमिटेशन में उनका निवास विभाजित हो कर बल्लारपुर विधानसभा क्षेत्र में चला गया। वे इस विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2014 में और 2019 में विधायक चुने गये। उन्हें अपने क्षेत्र की जनता का जोरदार जनसमर्थन मिला हुआ है।
सुधीर मुनंगटीवार ने विधायक और मंत्री रहते हुए अपने क्षेत्र और प्रदेश में कई महत्त्वपूर्ण विकास कार्य किये हैं जिनके कारण वे आज भी काफी लोकप्रिय हैं। वित्त और योजना विभाग के मंत्री के रूप में, सुधीर मुनगंटीवार ने 'शेतकरी योजना' के तहत महाराष्ट्र सरकार के लगभग 34,000 करोड़ रुपये के किसानों के ऋणों को माफ करने के निर्णय को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। बतौर वन मंत्री उन्होंने रिकॉर्ड सख्या में प्लांटेशन करवाये। बतौर विधायक उन्होंने बल्लारपुर शहर में सूचना और मार्गदर्शन केंद्र शुरू किया है। वे चन्द्रपुर व बल्लारपुर में कई संस्थाओं से जुड़े हैं जिनके माध्यम से विभिन्न सामाजिक गतिविधियों के लिए लाइब्रेरी आदि बनवाते हैं। उन्होंने महिलाओं के लिए विकलांगता मार्गदर्शन बैठकों, स्वयं सहायता समूह मार्गदर्शन और प्रशिक्षण शिविरों आदि का भी आयोजन करवाया है तथा चंद्रपुर जिले के सभी ताल्लुकों में दिव्यांग व्यक्तियों को बड़ी संख्या में तीन पहिए वाली साइकिलों का वितरण किया है।
सुधीर मुनंगटीवार को वर्ष 1998 में विधानमंडल के सर्वश्रेष्ठ वक्ता का पुरस्कार भी मिला है। इसके अलावा, उन्हें जीएल नारदेकर स्मृति पुरस्कार मिला है, जो एक ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है जिसने समाज में दृष्टिहीन और दिव्यांगों की मदद के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी है। उन्होंने चंद्रपुर और गढ़चिरौली जिलों के लिए गोंडवाना विश्वविद्यालय की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। जब दिसंबर 2009 में नितिन गडकरी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये तो सुधीर मुनंगटीवार को सर्व सम्मति से प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। वे इस पद पर अप्रैल 2013 तक रहे।
फेम इंडिया - एशिया पोस्ट "उम्दा विधायक सर्वे" में व्यक्तित्व, छवि, जनता से जुड़ाव, कार्यशैली, लोकप्रियता, विधानसभा में उपस्थिति और प्रश्न, बहस में हिस्सा, विधायक निधि का उपयोग व सामाजिक सहभागिता आदि 10 मुख्य मापदंड पर किये गये सर्वे में सुधीर मुनंगटीवार को प्रेरक कैटगरी में प्रमुख स्थान पर पाया गया है।
सर्वे स्रोत - विभिन्न प्रश्नों पर विधानसभा क्षेत्रों की राय, विधायिका और मीडिया से जुड़े लोगों से स्टेक होल्ड सर्वे तथा विधानसभा से उपलब्ध डाटा के आधार पर।