स्वस्छ छवि और उत्कृष्ट कार्य शैली वाले ईमानदार अफसर हैं नवनीत सहगल
उत्तर प्रदेश के सीनियर आईएएस अधिकारी अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग , एमएसएमई , खादी ग्रामोद्योग , निर्यात प्रोत्साहन विभाग को देख रहे हैं। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रदेश में किसी प्रशासनिक अधिकारी के पास अगर इतनी जिम्मेदारी हैं तो वो नि:संदेह कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी होगा। दरअसलनवनीत सहगल 1988 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के प्रशासनिक सेवा के आधिकारी हैं।
वनीत सहगल का जन्म 25 जुलाई 1963 में पंजाब के फरीदकोट में हुआ। उनकी शुरुआती पढ़ाई हरियाणा में हुई।अंबाला से दसवीं करने के बाद सहगल ने भिवानी में रहकर इंटरमीडियट परीक्षा उत्तीर्ण की। कॉमर्स में सहगल ने बीकॉम प्रथम श्रेणी में पास किया। उन्होंने चंडीगढ़ में रहकर चार्टेड एकाउंटेंट और कंपनी सेक्रेटरीशिप, दोनों का कोर्स किया। इसके बाद उन्होंने कानपुर से पीएचडी डिग्री हासिल की । 1990 में उनकी पहली पोस्टिंग एटा में हुई। उसके बाद ये देहरादून में एसडीएम के पद पर तनैात रहे । इसी दौरान कुंभ मेला का आयोजन होने पर सहगल हरिद्वार डेवलेपमेंट अथारिटी में उपाध्यक्ष के पद पर तनैात हुए। 1993-96 तक सहगल ने कानपुर में यूपी फाइनेनशियल कार्पोरशेन में महाप्रबंधक की जिम्मेदारी संभाली। इसी साल उनकी जौनपुर में पहली बार जिलाधिकारी के पद तनैाती हुई। फिर एक साल तक गोंडा के जिलाधिकारी रहे । नवनीत सहगल को 1999- 2000 में फैजाबाद का डिस्ट्रिट् मजिस्ट्रेट बनाया गया। वे राज्य में शहरी विकास मंत्रालय में रहे और इस दरम्यान उन्होंने शहरी क्षेत्र में गरीबी उन्मूलन पर शानदार कार्य किया। 2002-2004 के बीच नवनीत सहगल लखनऊ के जिलाधिकारी रहे । सबसे खास बात ये हैं कि उन्हें 2002 में अयोध्या में शिलादान कार्यक्रम को शांतिपूर्वक संपन्न कराने के लिए फैजाबाद भेजा गया था। आईएएस सहगल की पहचान राज्य में ईमानदार, स्वच्छ छवि और उत्कृष्ट कार्यशैली वाले ऑफिसर के रुप में होती हैं। 33 साल के प्रशासनिक सेवा में प्रदेश में कई मुख्यमंत्रियों के साथ इनको कार्य करने का अनुभव हैं। ये यूपी में साइंस ऐंड टेक्नोलाजी विभाग में सचिव पद पर तनैात हुए। इसके बाद यूपी में बायोटेक्नोलाजी के क्षेत्रमें पहली बार काफी काम शुरू हुआ। इसके बाद साल 2005 से 2007 तक इनकी प्रतिनियुक्ति केंद्र में हुई। केंद्र में नवनीत सहगल पंचायती राज्य मंत्रालय में डायरेक्टर और मिनिस्ट्री ऑफ स्टीलमें प्राइवेट सेक्रेटरी के पद पर रहे । 2007 में सहगल वापस होम कैडर यूपी में बुला लिए गए। सहगल कई विभागों, पावर कार्पोरशे न, जल निगम, यूपी इंडस्ट्रियल डेवलेपमेंट कार्पोरशेन के चेयरमनै रह। सहगल की काबिलियत की वजह सेमहज दो सालमें 302 किलोमीटर लंबा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे बनकर तैयार हुआ। कोरोना काल में वे राज्य सरकार के सबसे विश्वासी ऑफिसर बनकर उभरे ।