अनिल प्रधान हैं रीयल लाइफ हीरो
अनिल प्रधान हैं रीयल लाइफ हीरो
बच्चों की शिक्षा में क्रांतिकारी और क्रियात्मक प्रयोगों के मामले में अनिल प्रधान अपनी अलग पहचान बना चुके हैं. महज 22 साल की छोटी उम्र में ही उन्होंने वो कर दिखाया जो पहले कसी ने नहीं किया था. ओडीशा के नजदीक 42 मौजा गांव में पैदा हुए अनिल का बचपन काफी अभावों से भरा था. उऩ्हें स्कूल जाने के लिए भी हर रोज 12 किलोमीटर साइकलि खींचनी पड़ती थी. इतना ही नहीं खराब और ऊबड़खाबड़ रास्तों के कारण साइकिल बार बार खराब होती जिसे ठीक करते करते उनमें तकनीकि के प्रति लगाव पैदा हो गया. उन्होंने संबलपुर के वीर सुरेन्द्र साईं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंक की पढ़ाई की जिसके बाद रोबोटिक सोसाइटी तक पहुंचे. वह सबसे पहले तब सुर्खियों में आए जब उन्हें दुनिया के सबसे लंबे मानव निर्मित हीराकुंड बांध की निगरानी करने वाला सैटेलाइट बनाने वाली टीम में शामिल किया गया. उऩ्होंने बिजली के खंभों पर चढ़कर खतरनाक कामों को अंजाम देने वाले रोबोट को तैयार करने में भी बड़ी भूमिका निभाई.
प्रधान को मशहूर थ्री-इडियट फिल्म के प्रमुख किरदार का रियल लाइफ वर्जन कहा जाता है जो इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद बच्चों में तकनीक की समझ और रुचि विकसित करने के लिए गांव में जाकर स्कूल खोलता है. अनिल ने भी बराल गांव में ऐसा ही स्कूल शुरू किया जहां उन्होंने बच्चों के लिए ज्ञान पर किताबों और बस्ते की कोई बंदिश नहीं होती. इसे उन्होंने इंटरनेश्नल पब्लिक स्कूल ऑफ रूरल इन्नोवेशन का नाम दिया. 2.5 एकड़ में बने इस स्कूल को उन्हें स्कॉलरशिप और दूसरे पुरस्कारों से मिली रकम से तैयार कराया है. उन्हें देश के सबसे प्रतिभाशाली दस छात्रों में शामिल किया गया और समाज में उनके योगदान के लिए उन्हें 2018 के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय यूथ आइकॉन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है. उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें नेश्नल काउंसिल फॉर साइंस म्यूजियम और अटल टिंकरिंग लैब में मेंटर बनाया गया है
यूथ आइकॉन " युवा" 2019 के इस सर्वे में फेम इंडिया मैगजीन – एशिया पोस्ट ने नॉमिनेशन में आये 300 नामों को विभिन्न मानदंडों पर कसा , जिसमें सर्वे में सामाजिक स्थिति, प्रतिष्ठा, देश की आर्थिक व राजनीतिक व्यवस्था पर प्रभाव, छवि, उद्देश्य और प्रयास जैसे दस मानदंडों को आधार बना कर किये गये स्टेकहोल्ड सर्वे में अनिल प्रधान प्रमुख स्थान पर हैं |