भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव के वाहक राजीव कुमार

राजीव कुमार

भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव के वाहक राजीव कुमार

1984 बैच के झारखण्ड कैडर के आईएएस ऑफिसर राजीव कुमार भारत सरकार की आर्थिक नीतियाँ बनाने वाले वित्त मंत्रालय के सचिव हैं. वित्त सचिव यानी वित्त मंत्रालय के सभी पांच विभागों- आर्थिक मामलों, राजस्व, खर्च, वित्तीय सेवाओं और निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन (डीआईपीएएम)- में सबसे सीनियर ब्यूरोक्रेट. राजीव कुमार की ये ज़िम्मेदारी उनकी काबिलियत और अनुभव खुद बा खुद बयाँ करती है. उत्तर प्रदेश से आने वाले राजीव कुमार ने पब्लिक पॉलिसी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है. वित्त मंत्रालय में काम करने का उनका ये अनुभव नया नहीं है. वित्त सचिव बनने से पहले राजीव कुमार वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा में सचिव थे. वे वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग में संयुक्त सचिव और अपर सचिव के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. राजीव अपनी उत्कृष्ट सोच और जवाबदेह कार्यशैली के ज़रिये पीएम मोदी की कई महत्वकांक्षी योजनाओं जैसे जन धन योजना, मुद्रा लोन योजना, 59 मिनट लोन योजना (एमएसएमई क्षेत्र के लिए) को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं. सरकार के कई महत्पूर्ण वित्तीय निर्णयों को उन्होंने बाखूबी अंजाम तक पहुँचाया है. वे केंद्र की उस योजना का भी नेतृत्व कर चुके हैं, जिसके तहत बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ देना बैंक और विजया बैंक के विलय को मंजूरी दी गई थी. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का लगभग 2.11 लाख करोड़ रुपए का रीकैपिटलाइजेशन भी राजीव कुमार की देख-रेख में ही हुआ था. बैंकिंग क्षेत्र में कई सुधारों का श्रेय राजीव कुमार को जाता है. अपनी कार्यकुशलता के दम पर उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को रिकॉर्ड पूंजी निवेश उपलब्ध कराया है. राजीव कुमार अपनी 34 साल की सेवा में कई महत्वपूर्ण विभाग संभाल चुके हैं. वे कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय में विशेष सचिव और संस्थापन अधिकारी के तौर पर काम कर चुके है. दिल्ली में वे झारखण्ड भवन के रेजिडेंट कमिश्नर, एडिशनल रेजिडेंट कमिश्नर और एडिशनल सेक्रेटरी भी रह चुके हैं. उन्होंने अपने गृह राज्य झारखंड में प्रशासनिक पोस्टिंग समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। जीव कुमार की योग्यता और अनुभव को देखते हुए उन्हें तीन बार बजट बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जा चुका है. इसके अलावा वे बैंकिंग नियामक भारतीय रिजर्व बैंक और देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बोर्ड में भी शामिल हैं।