निर्भीक और ईमानदार छवि की जिलाधिकारी हैं सुषमा चौहान
फौजी पिता से सीखा है अनुशासित जीवन

शुरू से ही अनुशासन पसंद रहीं सुषमा चौहान अपने मिशन के प्रति सजग रहने वाली ईमानदार प्रशासनिक अधिकारी हैं। जम्मू की डिप्टी कमिश्नर बनने के बाद उन्होंने जिले में विकास की ऐसी बयार बहा दी है कि ये इलाका प्रदेश के लिये एक मिसाल बन कर उभरा है
पढ़ने-लिखने में बचपन से ही मेहनती स्टूडेंट रही सुषमा ने विद्यापीठ इंजीनियरिंग कॉलेज पुणे से बीई की डिग्री हासिल की है। बचपन से ही आईएएस बनने की इच्छा रखने वाली सुषमा चौहान का परिवार मूल रूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। पिता फौजी ऑफिसर थे इसलिये देश के विभिन्न भागों में तैनाती हुई और उनकी पढ़ाई भी कई स्कूलों में हुई। इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने पहले अटेंप्ट में ही सिविल सर्विसेज की परीक्षा उत्तीर्ण की तो जम्मू-कश्मीर कैडर मिला।
सुषमा चौहान ट्रेनिंग के बाद कई अहम पदों पर रहीं जैसे जम्मू डेवल्पमेंट अथॉरिटी में वाइस चेयरमैन , डायरेक्टर टूरिज्म, डायरेक्टर लोकल अर्बन बॉडीज आदि। इस दौरान उन्होंने प्रदेश में विकास की संभावनाओं को देखते कई प्रोजेक्ट पर काम किया। 2016 में जम्मू-कश्मीर की टूरिज्म डायरेक्टर पद पर रहते हुए उन्होंने जम्मू में हरियाली और पहाड़ी के बीच एडवेंचर टूरिज्म पर काफी जोर दिया। साथ पटनी टॉप से आगे एक योगा सेंटर बनाने के लिए कार्य किया। जम्मू के सुरिनसार ट्विन लेक के विकास लिए भी उनके कार्यों की काफी सराहना हुई। उनके प्रयासों से कश्मीर के हर क्षेत्र में पर्यटन उद्योग को काफी फायदा हुआ। उन्हें जुलाई 2018 में सांबा जिले का डिप्टी कमिशनर बनाया गया। यहां उन्होंने अपने प्रशासनिक अनुभव के साथ विकास कार्य को आगे बढ़ाया।
वर्ष 2019 में आईएएस सुषमा चौहान जम्मू कश्मीर की डिप्टी कमिशनर बनायी गयीं। वो जम्मू की कमान संभालने वाली दूसरी महिला अधिकारी हैं। सुषमा चौहान के क्षमतावान प्रशासनिक अनुभव और निर्भीक कार्य को देखते हुए जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाये जाने से ठीक पहले यहां की जिम्मेदारी दी गयी। धारा 370 हटने के बाद उन्होंने जम्मू में 5 अगस्त 2019 को सुबह 6 बजे से धारा 144 लागू कर दी गयी। मोबाइल, इंटरनेट सेवा को अगले आदेश तक बंद करने का आदेश किया। डीसी सुषमा ने शांतिपूर्ण तरीके से हालात को संभाला और लोगों में विश्वास का वातावरण बनाने में सफलता पायी।
बतौर डिप्टी कमिशनर सुषमा चौहान ने जिले में प्रशासनिक सुधार के साथ युवाओं के लिए रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान किये। इस बीच में देश में कोविड-19 आ धमका और जम्मू भी इससे अछूता नहीं रहा। ऐसे में उनकी जिम्मेदारियां काफी बढ़ गयीं। लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया क्योंकि पर्यटक स्थल होने की वजह से यहां कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा काफी था। सबसे पहले उन्होंने पूरे जिले में जनता कर्फ्यू को सख्ती से पालन करने का आदेश दिया। इतना ही नहीं उन्होंने लॉकडाउन से पहले ही आपना प्रबंधन ऐक्ट 2015 को जम्मू में लागू कर दिया। जिले में इसके सकारात्मक नतीजे देखने को मिल रहे हैं। रेल, सड़क और हवाई मार्ग से आनेवाले करीब 26000 मुसाफिरों के सैंपल जांच के लिए लिये गये। डिप्टी कमिशनर सुषमा चौहान ने लॉक डाउन में 2.5 लाख प्रवासी मजदूरों के रहने, खाने और सुरक्षित घर वापसी की व्यवस्था की जिससे उनके उत्कृष्ट कार्य की जमकर तारीफ हो रही है ।
फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता आदि दस मानदंडों पर किये गए सर्वे में जम्मू की डिप्टी कमीशनर 'क्षमतावान' श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।