राजस्थान के पाॅवर सेक्टर में क्रांति के अग्रदूत संजय मल्होत्रा
राजस्थान के पाॅवर सेक्टर में क्रांति के अग्रदूत संजय मल्होत्र
अगर राजस्थान के प्रशासन तंत्र और ब्युरोक्रैसी को करीब से जानने वालों से पूछा जाये कि प्रदेश के सबसे ऊर्जावान और कर्मठ अधिकारी का नाम बतायें तो दस में से कम से कम आठ लोग संजय मल्होत्रा का नाम सुझायेंगे। शायद यही कारण है कि सरकारों के बदलने के बावजूद उनकी लोकप्रियता और प्रभाव में कोई कमी नहीं आयी है। राजस्थान सरकार में रेवेन्यु, कॉलोनाइजेशन व सैनिक कल्याण जैसे कई विभागों को संभाल रहे प्रिंसिपल सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा को हाल ही में खनिज और पेट्रोलियम जैसे महत्त्वपूर्ण विभाग भी सौंपे गये हैं। मूल रूप से राजस्थान के निवासी संजय मल्होत्रा आईआईटी कानपुर से कंप्युटर साइंस व इंजीनियरिंग में बीटेक रहे हैं। 1990 बैच में उन्होंने आईएएस चुनने वालों में टॉप किया जिस वजह से उन्हें पसंदीदा कैडर अपना गृह प्रदेश राजस्थान मिला। वे राजस्व, स्वास्थ्य और कृषि जैसे विभागों से जुड़े। जब 1999 में राजस्थान से तत्कालीन सांसद वसुंधरा राजे को वाजपेयी मंत्रिमंडल में जगह मिली तो उन्होंने इस डायनैमिक अधिकारी को दिल्ली बुलाकर अपने मंत्रालय में कार्यभार दिया। वर्ष 2003 में संजय मल्होत्रा को संयुक्त राष्ट्र डिवलपमेंट प्रोग्राम का प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर बनाया गया। वर्ष 2006 में उन्हें दोबारा प्रदेश में वित्त और राजस्व का विशेष सचिव और वर्ष 2007 में राजस्थान का कार्मिक सचिव बनाया गया। वर्ष 2008 में वे करीब साल भर तक स्टडी लीव पर रहे, फिर 2009 में वापस लौटे तो उन्हें माइन्स विभाग का कार्यभार मिला। वर्ष 2010 में उन्हें राज्य का आईटी सचिव बनाया गया। प्रदेश में कंप्युटरीकरण और ई-गवर्नेंस की दिशा में उन्होंने काफी कार्य किये।
वर्ष 2013 में संजय मल्होत्रा को लैंड रेवेन्यु विभाग और वर्ष 2014 के अंत में पॉवर विभाग की कमान सौंपी गयी। उन्होंने ऊर्जा विभाग में बतौर प्रमुख सचिव बिजली कंपनियों में बेहतरीन कार्य किया। उनके कार्यकाल में बिजली उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई। वे 4 साल से भी ज्यादा समय तक ऊर्जा विभाग में रहे। उनके कार्यकाल के दौरान प्रदेश में उदय स्कीम लागू की गयी और विद्युत कंपनियों का 10 हजार करोड़ घाटा कम हुआ। ऊर्जा क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिये भारत सरकार ने उन्हें सेंट्रल बोर्ड फॉर इरीगेशन एंड पावर (सीबीआईपी) अवार्ड-2019 से नवाजा है। वर्तमान सरकार में उनपर राजस्थान के खदानों को व्यवस्थित करने, नये नगरों को बसाने और सैनिकों के कल्याण के लिये संसाधन जुटाने की चुनौती है।