कुशल रणनीतिकार हैं इंटेलिजेंस ब्यूरो के प्रमुख प्रभावशाली अरविंद कुमार

कुशल रणनीतिकार हैं इंटेलिजेंस ब्यूरो के प्रमुख प्रभावशाली अरविंद कुमार

कुशल रणनीतिकार हैं  इंटेलिजेंस ब्यूरो के प्रमुख प्रभावशाली अरविंद कुमार

एक कुशल रणनीतिकार, एक तेज तर्रार पुलिस अधिकारी और अव्वल दर्जे के जासूस। देश की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी के निदेशक अरविंद कुमार को उनके महकमे में बेहद सुलझे हुए अधिकारी के तौर पर माना जात है। देश के हर क्षेत्र में ये देश के दुश्मनों के लिए काल हैं। बिहार में मधेपुरा के मूल निवासी अरविंद कुमार के पिता सच्चिदानंद सिंह बिहार सरकार की नौकरी में पूर्णिया में तैनात थे और उनका बचपन पिता के साथ ही बीता। वे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि थे और उनका चयन रांची के प्रसिद्ध नेतरहाट विद्यालय में हो गया। अच्छे अंकों के साथ बोर्ड की परीक्षा पास करने के कारण पटना के प्रतिष्ठित साइंस कॉलेज में दाखिला मिला। ग्रैजुएशन करने के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एमएससी की डिग्री हासिल की और 1984 बैच में आईपीएस सेवा के लिये चुने गये। आईपीएस अधिकारी के तौर पर अरविंद कुमार को असम-मेघालय कैडर मिला जहां उन्होंने लगभग सात वर्षों तक अपनी सेवाएं दीं। वे असम के सबसे बड़े जिले सोनितपुर के पुलिस अधीक्षक भी रहे। वर्ष 1991 में गृह मंत्रालय, भारत सरकार के सबसे अहम विभाग आईबी को नक्सलवाद और कुछ अन्य राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ खुफिया अभियान चलाने के लिये एक युवा और समझदार अधिकारी की आवश्यकता थी। आईबी अधिकारियों ने अरविंद कुमार को अपने अभियान में शामिल किया तो वे तुरूप का पत्ता साबित हुए। उन्होंने प्लानिंग और इंप्लिमेंटेशन में इतना सटीक तारतम्य बिठाया कि आला अधिकारियों ने दांतों तले उंगलियां दबा लीं। इसके बाद तो पूरे महकमे में उनके नाम का डंका बज उठा। उन्हें देश विदेश के लगभग हर बड़े अभियान में शामिल किया जाने लगा गया। वे रूस स्थित भारतीय दूतावास से भी जुड़े और वहां के भी कई अभियानों में शामिल हुए। जम्मू-कश्मीर में खुफिया तंत्र पर उनकी पकड़ को देखते हुएं उन्हें वहां का स्पेशल डायरेक्टर तक बनाया गया। उनके नेतृत्व में चले अभियानों का ही नतीजा रहा कि सैकड़ों आतंकी या तो एनकाउंटर में मारे गये या पकड़ लिये गये। कहते हैं, कई बार तो उनका नाम सुनते ही आतंकी पाकिस्तान भाग जाते थे। उनकी रणनीति इतनी सटीक होती है कि अपराधी फौरन शिकंजें में आ जाये। अरविंद कुमार अपने साहसिक कार्यों के लिये दो-दो बार राष्ट्रपति पुलिस पदक जीत चुके हैं। उनकी योग्यता और क्षमता को पहचान कर आईबी ने उन्हें असम व मेघालय की सरकारों से एक तरह से मांग ही लिया। अरविंद कुमार को देश की आंतरिक सुरक्षा का विशेषज्ञ माना जाता है। उन्हें नक्सलवाद और आतंकवाद जैसे मामलों के विशेषज्ञ के तौर पर जाना जाता है। वे यूपीए-2 सरकार के दौरान माओवाद बहुल, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे नक्सली इलाकों के प्रभारी भी रह चुके हैं। इस दौरान उन्होंने कई सफल अभियानों को अंजाम दिया। वे देश के हर खुफिया अभियान में हमेशा खरे उतरे हैं। उन्हें विशिष्ट सेवा के कारण राष्ट्रपति पुलिस पदक से भी सम्मानित किया जा चुका है। 

फेम इंडिया मैगजीन - एशिया पोस्ट सर्वे के 12 मापदंडो  पर किए गए  "25 उत्कृष्ट आईपीएस 2020" के वार्षिक सर्वे आईबी प्रमुख अरविंद कुमार "प्रभावशाली"  श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं ।