भारतीय किसानों की मजबूती की पहचान हैं उदय शंकर अवस्थी

उन्नत किसान, सुदृढ़ भारत

भारतीय किसानों की मजबूती की पहचान हैं उदय शंकर अवस्थी

डॉक्टर उदय शंकर अवस्थी इंडियन फॉरमर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव यानी इफको के प्रमुख हैं। भारत में कोऑपरेटिव इम्पॉवरमेंट को सफल बनाने और इफको को इक्कीसवीं सदी के अनुरूप अत्याधुनिक बनाने का श्रेय उनकी कुशल प्रबंधन क्षमता और व्यवहारिक दृष्टिकोण को जाता है। 25 वर्षों से भी अधिक समय से इस संस्था की कमान संभाल कर इसे फर्श से अर्श तक पहुंचाया। देश भर के किसानों और कृषि उद्योग से जुड़े लोगों के लिये आज ईफको सबसे भरोसेमंद नाम है और इसका श्रेय डॉ. अवस्थी को ही जाता है। उन्हें फर्टिलाइजर मैन के नाम से भी जाना जाता है। 

विजन 2000 के तहत उन्होंने कलोल, कांडला, फूलपुर और औलाला के सभी चार प्लांट्स की प्रोडक्शन कैपेसिटी बढ़वा कर लगभग दोगुनी करवा दी। अपनी दूरदर्शिता और कार्यक्षमता से हर प्रोजेक्ट को सही समय और कम से कम लागत पर पूरा करने में भी वे कामयाब रहे। सभी प्लांट्स अत्याधुनिक बनवाये जिससे एनर्जी और खर्च में बचत हुई। फिर विजन 2005 , 2010 और 2015 में संगठन और व्यापार दोनों ही सफलता के नये आयाम स्थापित करते गये। नयी सोसाइटियां जुड़ीं, किसानों की संख्या बढ़ी। टर्न ओवर हो या नेटवर्थ या फिर नैशनल व इंटरनेशनल जॉइंट वेंचर, आज एक विशाल समूह के रूप में इफको भारत ही नहीं, पूरी दुनिया का सर्वश्रेष्ठ कोऑपरेटिव बन गया है। 

उत्तर प्रदेश के छोटे से गाँव में 12 जुलाई 1945 को स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार में जन्मे उदय शंकर अवस्थी के पिता मात्र 2 वर्ष की आयु में चल बसे थे। विपरीत परिस्थितियों में भी इनकी माँ ने इन्हें पाला और बेहतर शिक्षा व उत्तम संस्कार दिये। प्राथमिक शिक्षा गाँव में, फिर आगे की पढ़ाई सेंट जॉर्ज स्कूल, कानपुर में फिर बनारस हिंदू युनिवर्सिटी (बीएचयू) से केमिकल इंजीनियरिंग किया। वर्ष 1966 में पढ़ाई पूरी की तब देश चीन के साथ युद्ध और भीषण अकाल के दौर से गुजर रहा था। तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नारे “जय जवान–जय किसान” से प्रभावित होकर वे किसानों को सशक्त बनाने का संकल्प लेकर फर्टिलाइजर इंडस्ट्री में उतर गये। वर्ष 1966 में इन्होंने श्रीराम फर्टिलाइजर्स के कोटा स्थित मॉडर्न प्लांट से करीयर शुरु किया। वर्ष 1971 में बिड़ला ग्रुप के जुआरी एग्रो ने गोवा में नया फर्टिलाइजर प्लांट लगाया तो उन्हें खास तौर पर बुलाया गया, जहां वे वर्ष 1976 तक रहे। गोवा में कार्य के दिनों ये स्थानीय विश्वविद्यालय में छात्रों को पढ़ाने भी जाने लगे जिससे वहां लोग उन्हें एक प्रोफेसर के तौर पर जानने लगे। वर्ष 1976 में इन्हें इफको के फाउंडर मैनेजिंग डायरेक्टर पॉल पाटन के साथ काम करने का मौका मिला। ये प्रोजेक्ट ऑफिसर के तौर पर उनके साथ जुड़े। 10 वर्षों तक इफको के विभिन्न प्रोजेक्ट्स से जुड़े रहे। वर्ष 1986 में इन्हें मात्र 41 वर्ष की आयु में पीपीसीएल का सीईओ बनाया गया। वे भारत के किसी भी कॉर्पोरेट हाउस पहले सबसे युवा सीईओ थे। वर्ष 1993 में इन्हें इफको से बुलावा आया। हालांकि ऑफर तत्कालीन सैलरी से भी कम था लेकिन उन्हें यह अवसर देश के लिये देखे गये सपने को पूरा करने के लिये उपयुक्त लगा। वर्ष 1993 में उदय शंकर अवस्थी इफको के सी ई ओ और फिर मैनेजिंग डायरेक्टर बनाये गये। 

हालांकि उनका एक मात्र लक्ष्य है – उन्नत किसान, सुदृढ़ भारत, लेकिन कोविड हमले के बाद इस दिशा में चुनौतियां बहुत बढ़ जायेंगी। दूरदर्शी योजनाकार यूएस अवस्थी ने इस स्थिति से निपटने का पूरा खाका अपने दिमाग में तैयार कर लिया है और जल्दी ही इसपर अमल शुरू करेंगे।

इंडियन किसान फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने दिन रात की मेहनत और लगन से सफलता का वो मुकाम हासिल किया जो आज इफको से जुड़े करीब चालीस हजार कोऑपरेटिव सोसाइटियों और साढ़े पांच करोड़ किसानों के गर्व का कारण है। विगत 27 वर्षों में इन्होंने इफको को दुनिया की सबसे बड़ी फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव बना कर कॉर्पोरेट सेक्टर की बड़ी-बड़ी कम्पनियों के समकक्ष ला खड़ा किया है। 
वर्ष 2006 में इन्हें धाड़वाड़ कृषि विश्वविद्यालय ने पीएचडी से सम्मानित किया। उन्हें ग्रीनटेक सेफ्टी अवॉर्ड, बेस्ट सीईओ अवॉर्ड, डेविडसन फ्रेम अवॉर्ड जैसे दर्जनों विश्व-प्रसिद्ध पुरस्कारों व सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है। अपनी सुयोग्य कार्यशैली व दूरदर्शितापूर्ण योजनाओं के कारण कृषि जगत में विशिष्ट पहचान रखने वाले उदय शंकर अवस्थी फेम इंडिया मैगजीन-एशिया पोस्ट सर्वे के 50 प्रभावशाली व्यक्ति 2020 की सूची में 40वें स्थान पर है।