क्राइम कंट्रोल में कामयाबी की पहचान बन गए आईपीएस - मुहम्मद अकील

बहुआयामी प्रतिभा के धनी और एक अच्छे इंसान के तौर पर पहचान रखने वाले कामयाब आईपीएस हैं मोहम्मद अकील

क्राइम कंट्रोल में कामयाबी की पहचान बन गए आईपीएस -  मुहम्मद अकील

बहुआयामी प्रतिभा के धनी और एक अच्छे इंसान के तौर पर पहचान रखने वाले कामयाब आईपीएस हैं गुड़गांव के पुलिस कमिश्नर मोहम्मद अकील। जो एक तरफ आतंकवादियों के लिये काल हैं, तो दूसरी तरफ अपराधियों में इनके नाम की दहशत रहती है। 1 जनवरी 1966 को अलीगढ़ उत्तर प्रदेश के हरदुआगंज कस्बे में जन्मे अकील पढ़ाई में बेहद तेज थे। मैट्रिक व पीयूसी फर्स्ट डिवीजन से पास करने के बाद उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से बीटेक ( सिविल इंजीनियरिंग) में भी टॉप किया। एम टेक में उन्हें आईआईटी, दिल्ली में दाखिला मिला। एक साल बाद वर्ष 1988 में उनका चयन इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज में हुआ। वर्ष 1989 में वे आईपीएस के लिये चयनित हुए और उन्हें हरियाणा कैडर मिला। वर्ष 1991 में मोहम्मद अकील अंबाला के एएसपी बने और तीन वर्षों तक कुरुक्षेत्र, यमुनानगर व रोहतक में भी इसी पद पर रहे। कुरुक्षेत्र में वर्ष 1993 में इन्होंने आतंकवादियों के खिलाफ एक बड़े अभियान का नेतृत्त्व किया, जिसमें तीन आतंकी मारे गये थे और इन्हें वीरता का राष्ट्रपति पदक और प्रशस्ति पत्र मिला था। वर्ष 1995 में इन्होंने बतौर एसपी नारनौल जिले की कमान संभाली। वे भिवानी, फरीदाबाद और झज्जर आदि जिलों में भी एसपी रहे। बाद में उन्हें हरियाणा वक्फ बोर्ड का सीईओ बनाया गया। वर्ष 2003 में उन्हें अंबाला और दो साल बाद रेवाड़ी का एसएसपी बनाया गया। मोहम्मद अकील का ट्रैक रिकॉर्ड शानदार रहा है। वे जहां भी रहे, वहां क्राइम कंट्रोल के साथ गुड गवर्नेंस और प्रो पीपुल्स पुलिसिंग के लिए विख्यात रहे हैं। वर्ष 2005 में उनको प्रमोशन के साथ क्राइम ब्रांच (सीआईडी) का डीआईजी बनाया गया। मोहम्मद अकील साल 2006 में सेंट्रल डेप्युटेशन पर भेजे गए। फिर बीएसएफ के डीआईजी के तौर पर फिरोजपुर और फिर अमृतसर में नियुक्ति हुई।  वर्ष 2010 में मोहम्मद अकील की हरियाणा कैडर में वापसी हुई, जहां उन्हें आईजी (लॉ एंड ऑर्डर ) की जिम्मेदारी दी गई। अगले साल उन्हें हरियाणा पुलिस अकादमी के डायरेक्टर का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया। वर्ष 2014 में उन्हें दोबारा वक्फ बोर्ड के सीईओ के साथ ही प्रशासक का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया। वर्ष 2014 में उन्हें एडीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर ) के पद पर प्रोन्नति मिली। वर्ष 2019 में उन्हें हेडक्वार्टर में एडीजी रहते हुए गुड़गांव के कमिश्नर पद का महत्त्वपूर्ण कार्यभार सौंपा गया। वे वर्ष 2014 से 2019 तक हरियाणा वक्फ बोर्ड के सदस्य और वर्ष 2019 से हरियाणा पुलिस के चीफ विजिलेंस ऑफिसर भी रहे हैं। जांबाज आईपीएस अधिकारी मोहम्मद अकील ने कई अपराधी गिरोहों का सफाया किया, जो राज्य में हत्या, किडनैपिंग व फिरौती से जुड़े थे। आर्थिक अपराधियों और जालसाजों का पर्दाफाश करने के साथ ही कई स्मगलरों और जाली नोटों के सौदागरों को पकड़ने का श्रेय भी इन्हें प्राप्त है। चाहे राम रहीम का मामला हो या फिर रामपाल का, आरक्षण आंदोलन हो या किसान आंदोलन, उन्होंने राज्य में कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। अकील एक अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त शोधकर्ता भी हैं , जिनके आलेख अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रकाशित होते रहते हैं। उनके आलेख अमेरिकन जर्नल और इंटरनेशनल जर्नल आदि में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं। मुहम्मद अकील वर्ष 1993 में वीरता पुरस्कार के अलावा वर्ष 1997 में चरखी-दादरी विमान दुर्घटना के दौरान पुलिस प्रबंधन सहित वीवीआईपी सुरक्षा , अपराध नियंत्रण आदि के लिये हरियाणा सरकार द्वारा चार बार प्रशस्ति पत्र, वर्ष 2006 में सराहनीय सेवा के लिये और वर्ष 2014 में विशिष्ट सेवा के लिये राष्ट्रपति पदक प्राप्त कर चुके हैं। 

फेम इंडिया मैगजीन - एशिया पोस्ट सर्वे के 12 मापदंडों पर किए गये "25 उत्कृष्ट आईपीएस 2020" के वार्षिक सर्वे में हरियाणा के एडीजी मोहम्मद अकील, "कामयाब" श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।