शालिनता और विकासवादी सोच से परिपूर्ण है युवा सांसद - डॉ. प्रीतम मुंडे
शालिनता और विकासवादी सोच से परिपूर्ण है युवा सांसद - डॉ. प्रीतम मुंडे
कहते हैं युवा नेतृत्व से राजनीति की दशा और दिशा बदल सकती है और विषम परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता युवा वर्ग की पहचान कराती है। कुछ ऐसी ही पहचान बनायी है बीड की युवा सांसद डॉ. प्रीतम मुंडे ने।
प्रीतम का जन्म 17 फरवरी 1983 को हुआ। उनका पूरा परिवार राजनीति से जुड़ा हुआ है। उनके पिता स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे महाराष्ट्र के बड़े नेताओं में शुमार रहे और निधन से पूर्व केंद्रीय ग्रामीण विकास, पेयजल और पंचायती राज आदि विभागों के कैबिनेट मंत्री भी थे। उनकी बड़ी बहन पंकजा मुंडे भी राजनीति में सक्रिय रहती हैं। स्वर्गीय प्रमोद महाजन की भतीजी हैं और राहुल महाजन व पूर्व सांसद पूनम महाजन की रिश्ते की बहन। एनसीपी नेता धनंजय मुंडे नेता भी प्रीतम के चचेरे भाई हैं। मुंडे परिवार में सबसे उच्च शिक्षा प्राप्त प्रीतम ने नवी मुंबई के डी वाई पाटिल इंस्टीच्यूट से अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की और एमबीबीएस करने के बाद डर्मिटोलॉजी में एमडी किया। 2012 में उन्हें उनके पिता गोपीनाथ मुंडे ने सोलापुर में एक मेडिकल कॉलेज का निदेशक बना दिया था। 2009 में प्रीतम की शादी नासिक के रहने वाले गौरव खाडे से हुई, जो कि आईटी प्रोफेशनल हैं। पिता गोपीनाथ मुंडे के सड़क हादसे में निधन के बाद उनकी संसदीय सीट बीड से वर्ष 2014 में 16वीं लोकसभा के लिये ही डॉ. प्रीतम मुंडे उपचुनाव के जरिये मैदान में उतरी थीं। उनके खिलाफ शिवसेना और एनसीपी ने कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था। डॉ. प्रीतम ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के अशोक एस पाटिल को 6,96,321 वोटों से मात दिया था। भारतीय चुनाव के इतिहास में यह सबसे अधिक मार्जिन से जीत थी। इसके कुछ ही दिनों बाद उनकी बड़ी बहन पंकजा मुंडे परली विधानसभा सीट से चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंची और महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं। प्रीतम स्वभाव से शर्मीली हैं और लाइमलाइट से दूर रहना पसंद करती हैं। वर्ष 2019 में 17वीं लोकसभा के चुनाव में भी डॉ. प्रीतम मुंडे ही जीतकर सांसद बनी। वे काफी सहृदय और मददगार किस्म की राजनेता हैं और अपने क्षेत्र की ही नहीं, पूरे देश के लोगों की निःस्वार्थ भाव से मदद करती हैं। 17वीं लोकसभा के छोटे से अंतराल में ही प्रीतम मुंडे ने सदन में सक्रियता दिखाते हुए 91 प्रश्न व तीन पूरक प्रश्न पूछे हैं। ये प्रश्न मुख्यतः उद्योग, रोजगार, रेलवे, स्वास्थ्य और वस्त्र उद्योग आदि विषयों से संबंधित हैं जिनसे उनके क्षेत्र और आस-पास की जनता को वास्ता पड़ता है। उन्होंने एक सरकारी बिल भी पेश किया है और कुल 4 बहसों व दो विशेष उल्लेख की चर्चाओं में शामिल रही हैं। दोनों सत्रों को मिलाकर सदन में उनकी उपस्थिति 84 प्रतिशत रही है। उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण की संसदीय समिति और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की स्टैंडिंग कमेटि का सदस्य बनाया गया है।