बुलंद इरादे के जिलाधिकारी हैं डॉक्टर नीलेश रामचंद्र देवरे
एमबीबीएस करने के बाद भी आये प्रशासनिक सेवा में

वैसे तो चिकित्सा को समाजसेवा का सबसे उम्दा जरिया कहा जाता है, लेकिन आईएएस की सर्विस में समाजसेवा के साथ-साथ समाज सुधार का भी अवसर मिलता है। कुछ इन्हीं विचारों के साथ डॉक्टर नीलेश रामचंद्र देवरे ने एमबीबीएस करने के बाद भी प्रशासनिक सेवा में अपना कैरीयर चुना। वे बिहार के चुनिंदा ऐसे जिलाधिकारियों में से हैं, जो जहां कहीं भी पदस्थापित रहे, अपनी क्षमता और लगन से वहां की तस्वार बदल बदलने का प्रयास किया। उन्हें जानने वाले अक्सर उन्हे जिले की बिगड़ी तबीयत सुधारने वाला डॉक्टर कहते हैं।
2011 बैच के आईएएस अधिकारी डॉ नीलेश रामचंद्र देवरे महाराष्ट्र के नासिक जिले से हैं और वे अपने इलाके के युवाओं के लिए रोल मॉडल हैं। उनके पिता आरडी देवरे जूनियर कॉलेज में प्रिंसिपल हैं जबकि बड़े भाई डॉक्टर हैं। परिवार में पढ़ाई की प्राथमिकता रही है और उनके पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे। वे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि थे और महाराष्ट्र बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा में बैच टॉपर थे। उन्होंने मुंबई के तेरणा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल से एमबीबीएस किया। इंटर्नशिप के दौरान एक वाकये ने तो उनके आईएएस बनने के लिये बहुत प्रेरित किया। इंटर्नशिप के वक्त नौजवान नीलेश को सीएमओ का पद सबसे बड़ा लगता था। एक दिन जब नगर आयुक्त अस्पताल के दौरे पर आये तो हॉस्पीटल के सभी वरिष्ठ डॉक्टर उनके पीछे भागते दिखे। आयुक्त ने अस्पताल की कई अव्यवस्थाओं को अपने एक आदेश से ही सुधारवा दिया। नीलेश ने यह सब देख कर तय कर लिया कि वे प्रशासनिक सेवा में आने के लिये जी-जान लड़ा देंगे।
डॉ. रामचंद्र देवरे शुरुआत से ही जुझारू और बुलंद व्यक्तित्व के रहे हैं। वर्ष 2009 में आईपीएल के दौरान उन्होंने एक प्रतियोगिता में एक करोड़ का मकान जीता। उन्हें गोदरेज कंपनी के अध्यक्ष ने फ्लैट की चाबी सौंपी, लेकिन उसपर कब्जा उसके तैयार हो जाने के बाद मिलना तय हुआ। इस बीच उन्हें इनकम टैक्स का 30 लाख रुपया भी जमा करना था। उसी दौरान आर्थिक मंदी के कारण मकान की कीमत बहुत गिर गयी, लेकिन कंपनी उनपर पुरानी कीमतों के आधार पर टैक्स जमा करने का दबाव बनाने लगी। महज 23 साल की उम्र में उन्होंने कंपनी पर मुकदमा ठोंक कर मीडिया और सोशल मीडिया के साथ मिलकर यह लड़ाई जीती और बाद में कंपनी के चेयरमैन ने उनसे समझौता किया।
वर्ष 2011 में आईएएस बनने और बिहार कैडर मिलने के बाद शुरुआत में वे सबसे पहले पटना जिले के बाढ़ सब-डिविजन में एसडीएम रहे। इसके बाद गया नगर निगम में म्युनिसिपल कमिश्नर बने। वहां के प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला में उन्होंने जो व्यवस्था करवायी उसकी जमकर सराहना हुई। उत्कृष्ट सेवा के लिये बिहार के मुख्यमंत्री ने भी उन्हें सम्मानित किया। बेतिया में पोस्टिंग हुई तो वहां भी स्वच्छ परीक्षा लेने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा मेधा दिवस के अवसर पर भी सम्मानित किया गया।
डॉक्टर नीलेश रामचंद्र देवरे बांका और पश्चिमी चम्पारण की कमान संभाल चुके हैं। बांका में कांवरिया मेला में आधारभूत संरचना निर्माण, बौंसी मंदार पर्वत का टूरिज्म प्लान एवं मंदार पर्वत पर रोपवे के शुरुआती कार्य के साथ साथ सरकार के सात निश्चयों में बनने वाले सभी संस्थानों को जमीन उपलब्ध कराने का कार्य उनके कार्यकाल में हुआ। 31 जुलाई 2017 को वे जैसे ही पश्चिमी चंपारण के डीएम बने वैसे ही अगले कुछ दिनों में वहां बाढ़ ने अपनी भयंकर विभीषिका दिखायी। पीड़ितों के दर्द को खुद का दर्द समझकर उन्होंने राहत के लिये दिन-रात काम किया। उन्होंने बेतिया शहर में अतिक्रमण हटाने का अभियान चलवा कर वहां के लोगों के दिल में खास जगह बनायी। सोशल मीडिया का बखूबी इस्तेमाल करने वाले इस युवा अधिकारी की फितरत में शामिल है जरूरतमंदों के लिए फिक्रमंद रहना। कलेक्ट्रिएट नाम से पेज बना कर उन्होंने प्रशासन की हर लोक कल्याणकारी योजना की घोषणा की और वहां के स्थानीय लोगों की समस्याओं को सुन कर उनका निवारण भी किया। पश्चिमी चम्पारण में ये प्रयोग पहली बार हुआ था और काफी सफल रहा।
डॉ. नीलेश रामचंद्र देवरे का ब्यूरोक्रैसी में अनुभव अभी महज 9 साल का है, लेकिन उनके कार्यों और मैच्योर फैसलों की तारीफ हर तरफ होती है। प्रशासनिक जिम्मेदारी और आम लोगों से जुड़ाव उन्हें खास बनाता है। फिलहाल वे मधुबनी के जिलाधिकारी हैं, जहाँ वे लोगों को विपरीत परिस्थितियों में धैर्य बनाये रखने और कोरोना काल में सरकार की गाइड्लाइंस को सख्ती से पालन करवाने पर बल दे है। वे वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये जिले के हर क्षेत्र की जानकारी लेने के साथ हीं जिले भर में हर संभव निरीक्षण का प्रयास कर रहे हैं। लॉकडाउन में जरूरतमंदों के लिए होम डिलिवरी उनकी बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता आदि दस मानदंडों पर किये गए सर्वे में मधुबनी के जिलाधिकारी डॉ नीलेश रामचंद्र देवरे "बुलंद" श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।