सात निश्चय के चैंपियन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

सात निश्चय के चैंपियन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

‘सुशासन बाबू’ के नाम से मशहूर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य में शिक्षा, सड़क और स्वास्थ्य पर किये कार्यों के लिए भी खासे लोकप्रिय हैं। उनके मुख्यमंत्री रहते हुए बिहार में विकास को नयी गति मिली और भ्रष्टाचार पर रोक लगी है। नीतीश कुमार शुरू से जन-विरोधी नीतियों के खिलाफ मुखर रहे हैं। पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर रहे इस राजनेता ने  प्रदेश में विकास की ऐसी तस्वीर चमकायी है कि लगातार तीन फुल टर्म मुख्यमंत्री रहने के बावजूद वे इस बार भी जनता की पहली पसंद बने हुए हैं।

नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को बिहार के बख्तियारपुर के कल्याण बिगहा में हुआ था। उनके पिता एक वैद्य और स्वतंत्रता सेनानी थे। पिता के सिद्धांतों पर चलकर वे 1974 से 1977 तक लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में शामिल हो गये। इमरजेंसी के दौरान उस वक्त के महान समाजसेवी एवं राजनेता सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के काफी करीबी रहे थे। इसी आंदोलन से सक्रिय राजनीति में आये और कई बार विधायक व सांसद बने। केंद्र की विभिन्न सरकारों में मंत्री रह चुके इन राजनेता ने कई पदों को सुशोभित किया है।

नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर जनता पार्टी से शुरू होकर लोकदल, समता पार्टी , जनता दल और जनता दल यू तक पहुंचा है। 1990 में वे केंद्र में कृषि राज्य मंत्री बने। 1998 में केंद्रीय रेलवे और भूतल परिवहन मंत्री बने।  वर्ष 2000 में बिहार के मुख्यमंत्री बने लेकिन त्यागपत्र देकर फिर केंद्र में कृषि मंत्री बने। 2001 में दोबारा रेलवे और कृषि मंत्री का प्रभार मिला। वर्ष 2005 में फिर बिहार के सीएम बने उसके बाद से बिहार के मुख्यमंत्री हैं ।

वास्तव में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ कुल छह बार ले चुके हैं। वर्ष 2000 में वे पहली बार वे इस पद पर पहुंचे थे और पूर्ण बहुमत न मिलने के कारण महज सात दिनों में सत्ता छोड़नी पड़ी थी। इसके बाद 24 नवंबर 2005 में सरकार बनायी तो पूरे पांच साल सरकार चलायी। तीसरी बार 26 नवंबर 2010 से 17 मई 2014 तक बीजेपी के साथ मिलकर, फिर लोकसभा चुनाव के पहले गठबंधन टूटा, और उन्होंने जीतनराम मांझी को सीएम बनाया। चौथी बार 22 फरवरी 2015 से नवंबर 2015 तक। पांचवी बार उन्होंने राजद के सहयोग से सरकार बनायी, लेकिन जुलाई 2017 मों यह गठबंधन टूट गया। 28 जुलाई 2017 को वे अपने पुराने सहयोगी भाजपा के सहयोग से छठी बार मुख्यमंत्री बने। 
 
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सादगी पसंद और स्वच्छ छवि के राजनेता है । भ्रष्टाचार मुक्त विकास उनकी पहली प्राथमिकता रही है । बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने 2016-17 से 2020-21 तक के लिए सात निश्चय योजना को मंजूरी दी है । इन सात निश्चय योजना का लक्ष्य युवा पीढ़ी को शिक्षा, कौशल विकास, शिक्षा ऋण, सभी गांवों में बिजली कनेक्शन, हर परिवार को पाइप वाले पानी की आपूर्ति प्रदान कर, शहरी क्षेत्रों में सड़क और निकास व्यवस्था के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना है। इसके तहत हर परिवार को बिजली कनेक्शन प्रदान करने के लिए 1897.50 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। यह प्रक्रिया दो सालों में पूरी होनी है। मंत्रिमंडल ने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को मुफ्त वाई-फाई कनेक्टिविटी प्रदान करने को भी मंजूरी दी। 

नीतीश कुमार के शासन काल में बिहार में शिक्षा में सुधार हुआ है । लड़कियों को साइकिल देने से साक्षरता बढ़ी है। शराबबंदी से लोगों के रहन-सहन में सुधार हुआ है, गरीबी दर घटी है। बिहार में जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय जो कि 2005 में जहां 7914 रुपए था बढ़कर 2016-17 में25950 रुपए हो गया है । सड़कों की दशा बिहार में  पहले से सुधरी है। कोरोना काल में भी उन्होंने बिहार लौटे मजदूरों के लिए काम देने की बात की है । लॉकडाउन में बिहार लौटे और बिहार से बाहर रहे लोगों को एक हजार रुपए दिया ।  
 
आगामी विधानसभा को देखते हुए नीतीश कुमार नफा-नुकसान का आंकलन करके बीजेपी के साथ बने रहेंगे । बीजेपी भी इसे जानती है कि नीतीश से बेहतर साथी कोई नहीं हैं । लिहाजा चुनाव से पहले बेलगाम हो रहे रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान को कंट्रोल में  करने के लिए नीतीश बीजेपी से दवाब बनवाएंगे । साथ ही लॉ एंड ऑर्डर फिर से दुरुस्त करना उनकी प्राथमिकता होगी ।
 
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ईमानदार और विकासवादी सोच के नेता है। वे बिहार की राजनीति के  माहिर  दिग्गज हैं। अपने विरोधियों की हर चाल को समय रहते पहचान कर नई व्यूह रचना से मात देने की सलाहियत रखते हैं ।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मनमुटाव के बावजूद बीजेपी से उनकी नजदीकियां उनकी राजनीतिक समझदारी को दर्शाता है। नोटबंदी के समय पीएम मोदी की सराहना की और कोरोना काल में भी पीएम मोदी के हर फैसले के साथ रहे । ऐसे में पीएम मोदी भी नीतीश कुमार के कामों की तारीफ करने में देरी नहीं करते है।