केंद्रीय वाणिज्य एवं रेल मंत्री पीयूष गोयल
मोदी सरकार के सबसे हाई प्रोफाइल मंत्रियों में से एक पीयूष गोयल ने अपने उत्कृष्ट कार्यों के बलबूते अलग पहचान बनायी है। उन्होंने हर चुनौतीपूर्ण मंत्रालय का कार्य जवाबदेही और समझदारी से किया और उनकी साख बढ़ती गयी। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें कॉमर्स एंव इंडस्ट्री और रेलमंत्री बनाया गया है। महाराष्ट्र से राज्यसभा के सदस्य पीयूष गोयल राज्यसभा में बीजेपी के डिप्टी लीडर हैं। वे राजनीति में आने से पहले एक सफल चार्टर्ड अकाउंटेंट और इन्वेस्टमेंट बैंकर भी रहे हैं।
पीयूष गोयल का जन्म 13 जून 1964 को मुंबई में हुआ। उनके पिता वेद प्रकाश गोयल अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में शिपिंग मिनिस्टर थे और माता चंद्रकांता गोयल महाराष्ट्र विधानसभा में तीन बार बीजेपी के लिए विधायक रहीं। एक राजनीतिक परिवार से आने के बावजूद पीयूष पढ़ने-लिखने में काफी योग्य और मेधावी छात्र रहे हैं। चार्टर्ड अकाउंटेंसी की पढ़ाई में वे भारत में दूसरे स्थान पर रहे और लॉ की पढ़ाई में भी मुंबई में सेकेंड टॉपर रहे हैं।
56 साल के पीयूष गोयल को शांत रह कर, बिना किसी लाग-लपेट के अपना काम करने के लिए जाना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले ही मंत्रिमंडल में उन्हें शामिल कर लिया था। उन्हें पावर, रिन्यूएबल एनर्जी और कोयला मंत्रालय सौंपा गया था। यूं तो वे राज्य मंत्री थे, लेकिन उन्हें स्वतंत्र प्रभार देकर पूरी तरह से कार्य करने का मौका दिया गया। अपने परफार्मेंस की बदौलत बुलंदियों पर पहुंचे पीयूष मोदी सरकार के दूसरे कार्य में केंद्रीय रेल और वाणिज्य मंत्री बनाये गये।
पीयूष गोयल 1984 में बीजेपी में शामिल हुए। उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष की भूमिका निभायी। बीजेपी ने साल 2014 के चुनाव के दौरान गोयल को पार्टी के विज्ञापन और सोशल मीडिया प्रचार की जिम्मेदारी दी गयी थी जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। जुलाई 2010 में वे पहली बार और जुलाई 2016 में दूसरी बार राज्यसभा सांसद बने। पीयूष गोयल वर्ष 2014 में मोदी सरकार बनने पर नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भी रहे। उन्होंने 2016 से 2017 तक खनन मंत्रालय भी संभाला। उनके कार्यकाल में भारत के ऊर्जा क्षेत्र में कई बदलाव हुए और देश के करीब 18 हजार गांवों का त्वरित विद्युतीकरण किया गया और उन्होंने 'उदय' एवं 'उजाला' जैसी परियोजनाओं को लागू करने में अहम भूमिका निभायी। 2017 में उन्हें प्रमोट करके कैबिनट मंत्री बनाया गया और रेल एवं कोयला मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गयी। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के अस्वस्थ होने पर पीयूष गोयल को वित्त मंत्री का प्रभार भी दिया गया। उन्होंने 14 मई 2018 से 22 अगस्त 2018 और 23 जनवरी 2019 से 14 फरवरी 2019 तक वित्त मंत्रालय की भी कमान संभाली और इस दौरान लोकलुभावन अंतरिम बजट भी पेश किया।
पीयूष गोयल शालीन व्यक्ति होने के साथ अपने काम के प्रति तेज तर्रार हैं। समय पर कार्यों को पूरा करना उनकी नीति रही है और वे जिम्मेदारियों से कभी मुंह नहीं मोड़ते। रेलवे का विकास, आधुनिकीकरण और सुरक्षा उनकी पहली प्राथमिकता है। बतौर रेलमंत्री पीयूष गोयल ने टिकट बुकिंग से एजेंटों को दूर रखने के लिए ठोस कदम उठाने के संकेत दिये हैं। कॉमर्स मिनिस्ट्री में भी उनके कार्यों की तारीफ होती है।
पीयूष गोयल ने समय के साथ-साथ अपनी छवि को निखारा है और वे बीजेपी के कद्दावर नेता में शुमार हो गये हैं। उनकी देश के कॉरपोरेट घरानों पर भी तगड़ी पकड़ है। इनमें सबसे खास बात यह है कि वे बीजेपी के कोषाध्यक्ष रह चुके हैं और उनके बाद पार्टी ने अभी तक कोई नया कोषाध्यक्ष नहीं चुना है। कोरोना काल में भारतीय रेल ने लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूरों की समस्याओं के समझते हुए मनरेगा के तहत रेलवे में काम देने की बात कर उन्होंने जनता का विश्वास भी हासिल किया है। इतना ही नही वे रेलवे में पैसेंजर और कर्मचारी के बेहतर रिश्ते के लिए ट्विटर पर सक्रिय रहते हैं ताकि पैसेंजर को कोई दिक्कत ना हो।