देश के सबसे पॉवरफुल मुख्यमंत्री हैं योगी आदित्यनाथ
एक साधु, एक संन्यासी, एक महन्त और एक राजनेता। जीवन के इन सभी क्षेत्रों में सफलता के शीर्ष पर बैठे हैं योगी आदित्यनाथ। वे नाथ संप्रदाय के सार्वाधिक सम्मानित साधुओं में से गिने जाते हैं। उन्होंने कम उम्र में ही संन्यास ले लिया था और कठिन तपस्या व साधना की है। वे गोरखपुर के प्रसिद्ध बाबा गोरक्षनाथ मन्दिर के महन्त हैं। बतौर राजनेता वे भारतीय संसद में अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और 19 मार्च 2017 से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। वे उत्तर-प्रदेश के 21वें मुख्यमन्त्री हैं। वे 1998 से 2017 तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और 2014 लोकसभा चुनाव में भी यहीं से सांसद चुने गये थे। वे गोरक्षनाथ मन्दिर के पूर्व प्रमुख महन्त अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं। इन्होंने हिन्दू युवाओं के लिये एक सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह 'हिन्दू युवा वाहिनी' का भी गठन किया है, तथा इनकी छवि एक प्रखर राष्ट्ररवादी नेता की है।
योगी आदित्यनाथ की छवि शुरू से ही बेदाग रही है और उन्होंने बतौर मुख्यमत्री उत्तर-प्रदेश की स्थिति को एक टर्न अराउंड दिया है। वे खुद को एक एक्शन मैन के तौर पर प्रोजेक्ट करने में कामयाब रहे हैं और अपराध व अपराधियों पर काफी सख्ती से लगाम कस रहे हैं। उनके नेतृत्व में प्रदेश एक इनवेस्टमेंट हब के रूप में स्थापित हो रहा है। फरवरी 2018 में आयोजित यूपी इन्वेस्टर्स समिट के जरिये उन्होंने 4.7 लाख करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित किया था। जुलाई 2019 में हुए सेरेमनी में 65 हजार करोड़ रुपये की योजनाओं की नींव रखी गयी थी। बेहतर और स्मार्ट पुलिसिंग के लिए उनकी सरकार ने व्यापक सुधार किये हैं। कोरोना संकट को भी मुख्यमंत्री योगी ने अवसर में तब्दील कर दिया, संक्रमण पर लगाम लगाने व लोगों को सहूलियत देने वाले उनके फैसले अन्य राज्यों के नजीर बने। पूरे देश में फंसे उत्तर-प्रदेश के मजदूरों और स्कूली बच्चों को लाने के लिये बस भेजने की उनकी पहल ने न सिर्फ प्रदेश-वासियों का बल्कि पूरे देश का मन जीत लिया। उनकी तत्परता का ही है कि देश के सबसे बड़े सूबे होने के बावजूद भी उत्तर प्रदेश कोरोना के मामले में अन्य राज्यों से आज बेहतर स्थिति में है.
5 जून 1972 को उत्तराखण्ड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचुर गाँव के एक गढ़वाली क्षत्रिय परिवार में जन्मे इनके पिता का नाम आनन्द सिंह बिष्ट था जो एक फॉरेस्ट रेंजर थे। ॉइनकी मां का नाम सावित्री देवी है। अपनी माता-पिता के सात बच्चों में तीन बड़ी बहनों व एक बड़े भाई के बाद ये पांचवें थे एवं इनसे और दो छोटे भाई हैं। 1977 में टिहरी के गजा के स्थानीय स्कूल में पढ़ाई शुरू की व 1987 में यहाँ से दसवीं की परीक्षा पास की। सन् 1989 में ऋषिकेश के श्री भरत मन्दिर इण्टर कॉलेज से इन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। 1990 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते हुए ये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े। 1992 में श्रीनगर के हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से इन्होंने गणित में बीएससी की परीक्षा पास की।
कोटद्वार में रहने के दौरान इनके कमरे से सामान चोरी हो गया था जिसमें इनके सभी प्रमाण पत्र भी थे। इस कारण से गोरखपुर से एमएससी करने का इनका प्रयास विफल रह गया। इसके बाद इन्होंने ऋषिकेश में पुनः विज्ञान से एमएससी करने के लिये प्रवेश लिया। उसी दौरान राम मंदिर आंदोलन का प्रभाव और प्रवेश को लेकर परेशानी से उनका ध्यान अन्य ओर बंट गया 1993 में गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गुरु गोरक्षनाथ पर शोध करने ये गोरखपुर आये एवं गोरखपुर प्रवास के दौरान ही ये महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आये थे जो इनके पड़ोस के गांव के निवासी और परिवार के पुराने परिचित थे। अंततः ये महंत की शरण में ही चले गए और दीक्षा ले ली। 1994 में ये पूर्ण संन्यासी बन गये, जिसके बाद इनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गया। 12 सितंबर 2014 को महन्त अवैद्यनाथ के निधन के बाद इन्हें यहाँ का महंत बनाया गया। 2 दिन बाद इन्हें नाथ पंथ के पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार मंदिर का पीठाधीश्वर बनाया गया।
सबसे पहले 1998 में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और जीत गए। तब इनकी उम्र केवल 26 वर्ष थी। वे बारहवीं लोक सभा (1998-99) के सबसे युवा सांसद थे। 1999 में ये गोरखपुर से पुनः सांसद चुने गये। योगी आदित्यनाथ ने अप्रैल 2002 में हिन्दू युवा वाहिनी बनायी। 2004 में तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता। 2009 में ये 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे। 2014 में पांचवी बार एक बार फिर से दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर ये सांसद चुने गये।
2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया। इन्हें एक हेलीकॉप्टर भी दिया गया। परिणाम शानदार रहा। उन्होंने रविवार, 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। बुलंद इरादे, ईमानदार छवि एवं दूरदर्शिता के कारण 97 फीसदी लोगों की राय में वे देश के सार्वाधिक प्रभावशाली लोगों की रैंकिंग में दूसरे स्थान पर हैं।