हार को जीत में बदलने के हुनर वाले बाजीगर हैं जिलाधिकारी राजेंद्र भट्ट

कोविड संकट में इनके बनाये भीलवाड़ा मॉडल की चर्चा देश ही नहीं, विदेशों तक में है।

हार को जीत में बदलने के हुनर वाले बाजीगर हैं जिलाधिकारी राजेंद्र भट्ट

उत्कृष्ट कार्यक्षमता और चुनौती को सुलझाने की कारीगरी, कोविड 19 की पहेली सुलझा कर देश भर में चर्चित हुए भीलवाड़ा मॉडल के प्रणेता राजेंद्र भट्ट 2007 बैच के राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। उनकी सोच दूरदर्शी मानी जाती है और किसी भी फैसले को कार्यरूप देने में उनकी कोई तुलना नहीं है। 

राजेंद्र भट्ट का जन्म राजस्थान के जोधपुर में हुआ है। वे इकोनॉमिक्स से एमए हैं और आरपीसीएस के अधिकारी रहे चुके हैं। 2007 बैच में उन्हे राजस्थान कैडर में आईएएस पद पर प्रोन्नत किया गया। आईएएस राजेंद्र भट्ट की पोस्टिंग कॉपरेटिव सोसायटी, उदयपुर में एडिशनल रजिस्ट्रार के पद पर  हुई। इस दौरान उन्होंनें कॉपरेटिव सिस्टम में बेहतरीन सुधार कार्य किया। मई 2017 को उन्हें डूंगरपुर  का कलेक्टर बनाया गया। इस दौरान उन्होंने जिले में विकास कार्यों को नया आयाम दिया। उन्होंने यहां जैविक खेती के साथ ही कम्पोस्ट युनिट के निर्माण को भी बढावा दिया, ताकि इसका सीधे तौर पर फायदा किसानों को मिल सके। इसके अलावे उन्होंने डूंगरपुर में रूरल डेवलपमेंट, हेल्थ केयर फैसिलिटी, एजुकेशन आदि को सुधारने पर भी विशेष कार्य किये। डूंगरपुर में उनकी कार्यशैली और शानदार गवर्नेंस को सरहानीय माना जाता है। 

दिसंबर 2018 में राजेंद्र भट्ट को भीलवाड़ा का जिलाधिकारी बनाया गया। कपड़ों की मशहूर औद्योगिक नगरी भीलवाड़ा में भी उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता मिशन, सड़क निर्माण और रोजगार के माध्यमों को मजबूत करने के लिए लगातार कार्य किया। एक वाकया तो इस दौरान तब हुआ जब वे भीलवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल में गंदगी देख खुद झाड़ू लेकर अस्पताल की सफाई में उतर गये। यह जहाँ एक ओर उनकी काम के प्रति निष्ठा को दर्शाता है वहीं जिले में लोगों के बीच साफ-सफाई और स्वच्छता को लेकर एक बड़ा मैसेज बना। इतना ही नहीं, उन्होंने अस्पताल के सभी मेडिकल उपकरणों को दुरुस्त करवाने के साथ ही मरीजों की जांच अस्पताल से बाहर कराने पर रोक लगवायी। राजेन्द्र भट्ट के नेतृत्व में भीलवाड़ा एक बेहतर जिले में शुमार हुआ। इसी दौरान  वैश्विक महामारी  कोरोना संकट के बादल भीलवाड़ा में भी तेजी से गहराने लगे। जिले में संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही थी, लेकिन बिगड़ी हुई परिस्थिति को कलेक्टर ने अपनी सूझ-बूझ से पूरी तरह कंट्रोल में ले लिया। इसके बाद उनके काम की तारीफ  ‘भीलवाड़ा मॉडल’ के तौर पर देश भर में हुई।  राजेंद्र भट्ट ने इस जानलेवा बीमारी की चेन को तोड़ने का काम किया। उन्होंने जिले में हॉटस्पॉट की मैंपिंग, घर-घर जाकर स्क्रीनिंग, कॉनटेक्ट ट्रेसिंग, क्वारेंटाइन और आइशोलेसन इत्यादि की उच्च स्तरीय व्यवस्था  करवायी। सरकारी गाइडलाइन का सख्ती से पालन करवाने के साथ-साथ लोगों को घर में ही जरूरत का सामान उपलब्ध करवाने के लिए मजबूत सप्लाई सिस्टम बनवाया। उनके स्ट्रेटेजी और मॉडल की चर्चा हर क्षेत्र में हो रही है। 

फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा  शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता आदि दस मानदंडों पर किये गये सर्वे में भीलवाड़ा  के जिलाधिकारी  राजेंद्र भट्ट  'बाजीगर' श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।