कर्मठता से पहचान बनाने में कामयाब रहीं हैं स्वाति मालीवाल

कर्मठता से पहचान बनाने में कामयाब रहीं हैं स्वाति मालीवाल

कर्मठता से पहचान बनाने में कामयाब रहीं हैं स्वाति मालीवाल

कम उम्र में ही संघर्षों से वास्ता और फिर सफलता और फिर संघर्ष। यही कहानी है दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल की। वे इस पद पर पहुंचने वाली सबसे कम उम्र की महिला हैं। दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के एक संपन्न परिवार में 15 अक्टूबर 1984 को  जन्मी स्वाति मालीवाल ने अपनी स्कूली शिक्षा नोएडा के अमिटी स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद वे नोएडा के ही जेएसएस कॉलेज से इंजीनियरिंग की तकनीकी डिग्री हासिल की। अच्छी नौकरी भी मिली, लेकिन जब अन्ना हजारे ने दिल्ली में आंदोलन शुरू किया तो स्वाति ने सबकुछ छोड़ कर कूद पड़ीं। अपनी बेहद शानदार नौकरी छोड़कर उन्होंने बतौर आरटीआई कार्यकर्ता समाज सेवा को अपना करियर चुना। 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' की सबसे युवा सदस्य के रूप में काम कर चुकीं स्वाति वर्ष 2006 से ही अरविंद केजरीवाल के साथ जुड़ी हुई हैं।  आम आदमी पार्टी की जब दिल्ली में 2015 में सरकार बनी तो अरविंद केजरीवाल ने स्वाति मालीवाल को बड़ी जिम्मेदारी दी। उसी साल जुलाई में उन्हें दिल्ली महिला आयोग का चेयरमैन बना दिया गया। वर्ष 2018 में उनका टर्म और तीन साल के लिये बढ़ा दिया गया। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बनाये जाने से पहले स्वाति मालीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री की शिकायत सलाहकार थीं। 
स्वाति मालीवाल ने जब महिला आयोग का कार्यभार संभाला तो उन्हें पता चला कि राजधानी की कई कॉलोनियों में जगह-जगह मसाज पार्लरों, स्पा सेंटरों और हेल्थ क्लबों के नाम पर अनैतिक देह व्यापार के अड्डे चल रहे हैं। उन्होंने पाया कि कई जगह इन अड्डों को पुलिस के भ्रष्ट अधिकारियों का भी संरक्षण हासिल है। उन्होंने इन अड्डों पर छापेमारी के लिये व्यापक अभियान छेड़ा। वे कई बार महिलाओं से जुड़े मसलों को लेकर धरने पर भी बैठ चुकी हैं। हाल ही में वे नाबालिगों के साथ दुष्कर्म के दोषियों को जल्द से जल्द फांसी देने की मांग को लेकर दिल्ली के राजघाट पर धरने पर बैठी थीं। 

25 सशक्त महिला 2020 के फेम इंडिया - एशिया पोस्ट सर्वे में स्वाती मालीवाल "कर्मठ" कैटगरी में प्रमुख स्थान पर है ।