संवाद क्षमता के धनी जिलाधिकारी हैं अजय कटेसरिया
कार्यों को नियत समय सीमा के अंदर पूरा करने को प्राथमिकता देते हैं
प्रशासनिक व्यवस्था की जिम्मेदारियों और मुश्किलों के तनाव को खुद पर कभी हावी होने नहीं देने वाले सतना के जिलाधिकारी अजय कटेसरिया हंसमुख स्वभाव के हैं, और जल्द फैसला लेने में विश्वास रखते हैं। अजय कटेसरिया की खासियत यह भी है कि वह कार्यों को नियत समय सीमा के अंदर पूरा करने को प्राथमिकता देते हैं।
इनका जन्म एवं प्रारंभिक शिक्षा झारखंड के धनबाद में हुई । बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में तेज और अनुशासित स्टूडेंट रहे अजय की शुरुआती शिक्षा कोयला नगरी में ही हुई। देश और समाज की सेवा को लक्ष्य मानकर उन्होंने सिविल सर्विस में शामिल होने का सपना देखा जो वर्ष 2012 में पूरा हुआ। आईएएस में चयन होने के बाद उन्हें मध्यप्रदेश कैडर मिला।
ट्रेनिंग के बाद अजय कटेसरिया की पहली पोस्टिंग 2013 में होशांगाबाद में बतौर असिस्टेंट कलेक्टर हुई। इस दौरान लैंड रेवन्यू और प्रशासनिक दायित्वों को सीखा। पर्यटन स्थल पचमढ़ी में अतिक्रमण हटाने के लिए इनकी 2 माह की विशेष पोस्टिंग हुई । इसके बाद उन्हें मुरैना के सबलगढ़ का सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट बनाया गया जहां एसडीएम रहते हुए इनके त्वरित निर्णय लेने और आम जनता से संवाद की बेहतर क्षमता प्रशासनिक महकमे में चर्चा का विषय रहा और इनके कार्यों की जमकर सराहना हुई। सबलगढ़ में भी अतिक्रमण हटाने के मामले में भी उन्होंने काफी सख्त रुख अपनाया।
वर्ष 2015 में अजय कटेसरिया को टीकमगढ़ जिला पंचायत का सीईओ बनाया गया। यहां पंचायती राज व्यवस्था में उन्होंने काफी सुधार किया। इसके बाद उन्हें डिप्टी सेक्रेटरी राजस्व और राहत एवं पुनर्वास आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार दिया गया । इस समय मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव बी.पी. सिंह विशेष अभियान के तहत राजस्व विभाग की कमान संभाले हुए थे । इसके उपरान्त युवा ऑफिसर अजय को अशोकनगर जिला पंचायत का सीईओ बनाया गया। अशोक नगर में प्रशासनिक स्तर पर सुधार करने से उनकी नयी पहचान बनी।
फरवरी 2020 में अजय कटेसरिया का ट्रान्सफर सतना के डीएम के तौर पर हुआ। जिला सतना में आते ही इन्होने बरसों से विलम्ब हो रहे बड़े प्रोजेक्ट जैसे कि नेशनल हाईवे हेतु भूमि-अर्जन, मेडिकल कॉलेज की भूमि से अतिक्रमण हटाने, वृहद् जल-आपूति योजना हेतु भूमि आवंटन पर तेज़ी से काम किया । इतना ही नहीं, कोरोना काल में भी 46100 किसानों से रिकॉर्ड 3.19 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की, जो किसी भी वर्ष से अधिक था। सहकारिता माफिया और अतिक्रमण के विरुद्ध भी उन्होंने अभियान शुरू किया। बतौर जिलाधिकारी उन्होंने इतने कम समय में अपने कार्यों से सबको प्रभावित कर दिया और आम लोग में लोकप्रिय हो गये।
इस बीच कोरोना संक्रमण की आहट से जिलाधिकारी अजय कटेसरिया ने तमाम प्लानिंग के साथ कोरोना के लिए विशेष व्यवस्था की। इनके नेतृत्व में लॉकडाउन में सतना जिला में करीब तीस हजार लोगों के भोजन की व्यवस्था, सामूहिक रसोई और 23 हजार मजदूरों को एक हजार रुपए का राहत पैकेज दिया गया, वहीं मझगवां और परसमनिया के लगभग साढ़े छह हजार आदिवासी परिवारों को जरूरी सामानों की सप्लाई सुनिश्चित की गयी। उन्होंने सतना जिले से करीब 62 हजार प्रवासी मजदूरों की कोरोना जांच करके उन्हें उनके घर भेजने की व्यवस्था करवायी।
बेहतर संवाद क्षमता का परिचय देते हुए इन्होंने मैहर शारदा देवी धाम एवं चित्रकूट धाम को पुजारियों एवं समाज को विश्वास में लेते हुए लॉक-डाउन से पहले ही बंद करवा दिया। कोरोना काल में जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, धर्म-गुरुओं, व्यावसायिक संगठनों एवं साथी अधिकारियों से इनका लगातार संवाद रहा। प्रशासन द्वारा जारी दिशा निर्देश बेहतर तरीके से लगातार जनता तक पहुँचते रहे, जिससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई।
मेहनत और लगन के बल पर आगे बढ़ने वाले आईएएस अजय की गीता में अटूट श्रद्धा है और इसे प्रेरणा का स्रोत मानते है। फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता आदि दस मानदंडों पर किये गए सर्वे में सतना के जिलाधिकारी अजय कटेसरिया "संवाद क्षमता" श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।