भारत के सवाल पूछते हैं अर्णब गोस्वामी
अर्णब गोस्वामी नाम है एक ऐसी शख्शियत का जिसे लोग 'इंडिया का सवाल' के नाम से जानने लगे हैं। वे रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के मैनेजिंग डायरेक्टर एंड एडिटर-इन-चीफ हैं और एक दमदार एंकर के तौर पर जाने जाते हैं। बदलते परिवेश में उन्होंने ऑडियो विजुअल मीडिया की परिभाषा ही बदल दी है। उनका सवाल "इंडिया वांट्स टू नो" या "पूछता है भारत" एक राष्ट्रीय नारा बन गया है। पहले जहां टीवी एंकरों को शान्ति से अपनी बातें को रखने के लिए जाना जाता था लेकिन अब अर्णब गोस्वामी ने उसे आक्रमक बना दिया है।
अर्णब गोस्वामी का जन्म असम के गुवाहाटी में 9 अक्टूबर 1973 में हुआ था। उनके पिता मनोरंजन गोस्वामी सेवानिवृत कर्नल हैं। उनके दादा रजनीकांत गोस्वामी एक वकील, कांग्रेस के नेता और एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उनके नाना गौरी शंकर भट्टाचार्य असम में बहुत वर्षों तक विपक्ष के नेता थे। वे एक स्वतंत्रता सेनानी और बुद्धिजीवी लेखक थे। अर्णब की स्कूलिंग माउंट सेंट मेरी स्कूल दिल्ली से हुई। दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से समाज शास्त्र में स्नातक करने के बाद 1994 मे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सेंट एंटोनी कॉलेज से सोशल एंथ्रोप्लोजी में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने पत्रकारिता में आने का फैसला किया।
अर्णब गोस्वामी ने मीडिया में करियर की शुरुआत ‘द टेलीग्राफ' अखबार से की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली में एनडीटीवी ज्वाइन किया। वे वहां न्यूज टुनाइट और न्यूज अवर की एंकरिंग करते थे। 2004 में उन्हें एशिया के बेस्ट एंकर का अवॉर्ड मिला। इसके बाद 2006 में अर्णब गोस्वामी ने टाइम्स नाउ न्यूज चैनल को बतौर एडिटर-इन-चीफ ज्वाइन किया। रात 9 बजे आने वाला शो न्यूज अवर काफी पसंद किया गया। इसके साथ उन्होंने 'फ्रैंक्ली स्पीकिंग विथ अर्णब' नाम से शो किया जिसमें उन्होंने बेजनीर भुट्टो, इंग्लैंड के पीएम गोर्डन ब्राउन, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई, दलाई लामा और अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन का जोरदार इंटरव्यू किया। इतना ही नहीं, उन्होंने नरेंद्र मोदी के वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद पहला इंटरव्यू भी लिया। 2016 में अर्णब गोस्वामी ने टाइम्स नाउ को छोड़कर 6 मई 2017 को नये चैनल 'रिपब्लिक' की शुरुआत की। सबसे खास बात ये रही कि रिपब्लिक टीवी खुलने के पहले ही हफ्ते में टीआरपी की रेस में आ गया। इतना ही नहीं, रिपब्लिक टीवी लगातार 100 हफ्ते तक अपनी स्थापना के बाद सबसे ज्यादा देखे जाने वाला इंग्लिश टीवी चैनल बन गया। जब उन्होंने ‘रिपब्लिक भारत’ नाम से हिंदी चैनल खोला तो वह भी बेहतर न्यूज़ प्रजेंटेशन की वजह से लोगों को पसंद बन गया।
अर्णब गोस्वामी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है दोनों चैनलों को टीआरपी के रेस में बनाये रखना। दोनों चैनलों पर लोग सबसे ज्यादा उन्हें ही देखना चाहते हैं। हाल ही उन्होंने एक कनक्लेव में ऐलान किया था कि वो सभी भारतीय भाषाओं में चैनल लाने की कोशिश में हैं जो वाकई थोड़ा मुश्किल है लेकिन अगर वे ऐसा कर पाते हैं तो मीडिया के क्षेत्र में ईटीवी औऱ जी न्यूज के बाद एक बड़ा और साहसिक कदम होगा।
अर्णब गोस्वामी बेहद मेहनती और जिद्दी इंसान हैं। वे जिस काम को करने की ठान लेते हैं उसे पूरा किये बगैर मानते नहीं हैं। अंग्रेजी न्यूज के एडिटर इन चीफ होने के बावजूद हिंदी में सफल शो करना उनकी लगन को दर्शाता है। पत्रकारिता उनका जुनून है। उन्होंने 26/11 आतंकी हमले के दौरान 65 घंटे रिपोर्टिंग की थी। उन्हें 2010 में रामनाथ गोयनका अवॉर्ड फॉर एक्सीलेंस इन जर्नलिज़म मिल चुका है। अर्णब ने 'कॉम्बैटिंग टेरोरिज्म : द लीगल चैलेंज' नाम से किताब भी लिखी है। फिलहाल वे एनबीएफ के संचालन बोर्ड के नये अध्यक्ष हैं। वे फेम इंडिया मैगजीन-एशिया पोस्ट सर्वे के 50 प्रभावशाली व्यक्ति 2020 की सूची में वें स्थान पर हैं।