चैम्पियंस ऑफ चेंज के आइकॉन साबित हो रहे हैं जिलाधिकारी संदीप सिंह

अमेरिका के टेक्सास स्थित बड़ी मल्टीनैशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे संदीप सिंह

चैम्पियंस ऑफ चेंज के आइकॉन साबित हो रहे हैं जिलाधिकारी संदीप सिंह

एक शानदार अमेरिकी कंपनी में लाखों रुपये की सैलरी वाली सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर वापस भारत लौटना। सिविल सर्विसेज की कठिन परीक्षा दो बार क्वालिफाई करना और  झारखंड के पिछड़े जंगली इलाकों को विकास की राह पर ले जाने का कठिन कार्य। ये निश्चित तौर पर कोई मिशनरी ही कर सकता है। युवा जोश से भरपूर रामगढ़ के जिलाधिकारी संदीप सिंह एक ऐसे ही यूथ आईकॉन हैं।   

उत्तर प्रदेश के रायबरेली ज़िले के मध्यमवर्गीय परिवार के नौजवान ने बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में तीन साल इंजीनियर के तौर पर काम करने बाद सिविल सर्विस में जाने का निर्णय किया | दृढ़ निश्चय वाले संदीप सिंह ने पहली बार में आईपीएस और दूसरे अटेंप्ट में आईएएस क्लियर किया | 2012 बैच के आईएएस संदीप सिंह वर्तमान में झारखंड के रामगढ़ में उपायुक्त है, उन्हे उसूल के पक्के अधिकारी के तौर पर जाना जाता है।

यूपी के रायबरेली के शिक्षक विजय पाल सिंह के पुत्र संदीप की आठवीं तक की पढ़ाई भी उसी स्कूल में हुई, जहां उनके पिता शिक्षक थे। उन्होंने रायबरेली के ही गवर्नमेंट इंटर कॉलेज से बारहवीं और फिरोज गांधी डिग्री कॉलेज से ग्रैजुएशन किया। वे कानपुर के हर्टकोर्ट  बटलर टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट यानी एचबीटीआई से एमसीए करने के बाद तीन साल मल्टीनेशनल कंपनी मे बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर कार्यरत रहे। इस क्रम में वह 6 महीने अमेरिका के टेक्सास में भी कार्यरत रहे।

वर्ष 2009 के अंत में सॉफ्टवेयर छोड़कर संदीप सिंह वर्ष 2010 में यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुए और आईपीएस के लिये चयनित हुए, जिसमें उन्हें होम कैडर यूपी मिला। 2012 में पुनः उनका सेलेक्शन आईएएस के लिए हुआ और झारखंड कैडर मिला। बतौर प्रशिक्षु संदीप सिंह झारखंड के सिमडेगा में असिस्टेंट कलेक्टर और असिस्टेंट मजिस्ट्रेट भू-राजस्व बनाये गये। इसके बाद उन्होंने राज्य में कई अहम पदों पर प्रशासनिक दायित्वों को बखूबी निभाया। 

संदीप सिंह ने चतरा डीसी रहने के दौरान मनरेगा व अन्य विकास योजनाओं में ज़मीनी स्तर पर गड़बड़ी को दूर करने व अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुँचाने के लिए प्रभावी ऐक्शन लिया। फरवरी 2018 में उन्हें साहिबगंज का उपायुक्त बनाया गया। इस जिले में उन्होंने मल्टी मॉडल बंदरगाह के कार्य में तेजी लाने व इसका निर्माण अपने कार्यकाल में पूर्ण कराने के साथ ही स्वास्थ्य सेवा को भी दुरुस्त किया। उन्होंने जिले में स्वच्छता मिशन को तरजीह दी, जिससे साहेबगंज की दो नगरपालिकाएं साहेबगंज और राजमहल शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से ‘स्वच्छ सर्वेक्षण अवॉर्ड’ 2018 में सफल रहीं। इतना ही नहीं, डीसी संदीप सिंह के नेतृत्व में साहेबगंज को स्वच्छ गंगा शहर भी घोषित किया गया। यह जिला बदलाव के लिहाज से देश मे दूसरे नंबर पर रहा और जनवरी 2019 में नीति आयोग की ओर से  "चैम्पियंस ऑफ चेंज अवॉर्ड" से नवाजा गया। इस हेतु नीति आयोग द्वारा ज़िले को 5 करोड़ राशि भी दी गयी।

जुलाई 2019 में संदीप सिंह को रामगढ़ जिले का डीसी बनाया गया । जहाँ उन्होंने लोककल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाने के साथ ही शुद्ध पेयजल उपलब्धता, स्वास्थ्य सेवा और पर्यावरण संरक्षण पर तेजी से कार्य शुरू करवाया। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों और महिलाओं के हेल्थ पर विशेष फोकस रखा। इनके द्वारा गढ़ा गया आंगनबाड़ी का रामगढ़ मॉडल राज्य के लिए रोल मॉडल है। कोविड-19 के संकट के समय संदीप सिंह ने जिले की व्यवस्थाओं पर उचित ध्यान देने के साथ ही  महाराष्ट्र में फंसे रामगढ़ के मजदूरों के लिए तमाम सुविधाओं को मुहैया करवाया, जो सुर्खियों में रहा। शिकायतों का त्वरित निष्पादन व आम लोगों तक प्रशासन की सहज उपलब्धता इनकी कार्यशैली का फ़ोकस रहा है।

फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा  शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता आदि दस मानदंडों पर किये गए सर्वे में रामगढ़ के डिप्टी कमीशनर संदीप सिंह 'आईकॉन' श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।