योग, आयुर्वेद और स्वदेशी को समर्पित स्वामी रामदेव
बीसवें स्थान पर हैं योग गुरू बाबा रामदेव
स्वामी रामदेव आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। भारत ही नहीं, दुनिया भर में योग की पताका फहराने वाले योगगुरु रामदेव सुबह में टीवी चैनल पर योग सिखलाते दिखेंगे तो दोपहर में चैनल पर किसी राष्ट्रीय मसले पर राय देते नजर आयेंगे। और तो और हो सकता है वे शाम को किसी खेल या मनोरंजन की खबर पर चुटकी लेते भी दिख जायें। कुल मिला कर देखा जाये तो उनका कद किसी एक परिचय तक सीमित नहीं रह गया है। उन्हें एक सेलेब्रिटी का दर्जा हासिल हो गया है और एक तरह से वे देश में सबकी पसंद बन चुके हैं।
स्वामी रामदेव को योग के साथ-साथ अध्यात्म, आयुर्वेद, राजनीति और व्यापार में विशेष रुचि है। बाबा रामदेव एक ऐसे गुरु है जिन्होंने आधुनिकता के दौर में भारत के लोगों को स्वदेशी चीजें उपयोग करने के लिए प्रेरित किया है । बाबा रामदेव पतंजलि योगपीठ व पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य योग मंदिर के संस्थापक हैं। स्वामी रामदेव का नाम रामकृष्ण यादव है । उनका जन्म 1965 में हरियाणा के महेंद्रगढ़ के अली सैयदपुर गांव में हुआ । उन्होंने आठवी तक स्कूल में पढ़ाई की, उसके बाद उन्होंने गुरुकुल और गुरुओं के आश्रम में जाकर धर्म, वेद ग्रंथों, योग और साहित्य के बारे में गहन चिंतन किया। पहले रामदेव योग के लिए जाने जाते थे। उनके योग शिविरों में हजारों अनुयायियों की मौजूदगी देखी जाती रही है। हाल के वर्षों में उन्होंने अपना दायरा बढ़ाया है। देश पर किसी तरह की संकट हो तो बाबा रामदेव सबसे पहले अपने विचार और सहायता के लिए आगे आते हैं।
योगगुरु रामदेव बड़े ही सरल और प्रभावी तरीके से अपनी बात को रखते हैं। वैराग्य और योग उनके जीवन का दर्शन है जिससे वे आम लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। योग में प्राणायाम, अनुलोम विलोम, कपालभांति और स्वदेशी स्वावलंबन उनकी शक्ति का स्रोत है। देश में उन्होंने कई संस्थानों की स्थापना की जिससे की लोगों को लाभान्वित कर पायें।
हिमालय में तप के बाद हरिद्वार में बसे योगगुरु रामदेव 1995 में दिव्य योग्य मंदिर ट्रस्ट की शुरुआत की। इससे लोगों को योग से जोड़ा। उन्होंने 2006 में महर्षि दयानंद ग्राम हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के साथ अत्याधुनिक औषधि निर्माण इकाई पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की स्थापना की। शुरुआत में इनकी आयुर्वेदिक औषधियों ने देशभर में तहलका मचाया। देश भर में मौजूद इनके औषधालयों में निःशुल्क आयुर्वेदिक परामर्श भी दिये जाते हैं जिससे हर प्रकार के रोगों का ईलाज किया जा रहा है। इसके दो संस्थान भारत में हैं। इस के अलावा अमेरिका, यूके, कनाडा, मॉरिशश और नेपाल में भी इनके संस्थान हैं। बाद के वर्षों में पतंजलि ने दैनिक जरूरत की चीजों का विक्रय शुरू किया जिनमें साबुन, तेल, घर के राशन का सामान जैसे आटा, मसाला, बिस्किट, चॉकलेट, टूथ पेस्ट, शैम्पू, आचार, पापड़, मुरब्बा, सौन्दर्य प्रसाधन और जूस आदि प्रमुख हैं।
कोरोना काल में स्वामी रामदेव बेहद कम कीमत में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाओं को बाजार में उतार करकर सुर्खियों में हैं। फिलहाल उनकी कंपनी पातंजलि का टर्नओवर 25000 करोड़ के आस पास है औऱ बड़े-बड़े मल्टीनैशनल्स को हर क्षेत्र में टक्कर दे रही है। स्वामी रामदेव स्वदेशी के साथ राजनीतिक मिशन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं । उन्होंने 2010 में भारत स्वाभिमान नाम की पॉलिटिकल पार्टी भी बनायी, लेकिन बाद में राजनीति में खुलकर आने से पीछे हट गये। हालांकि 2014 के चुनाव में उन्होंने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के कैंपेन का समर्थन किया। वे भ्रष्टाचार के खिलाफ और जनलोकपाल के समर्थन में हुए आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं।
स्वामी रामदेव स्वदेशी आंदोलन को और प्रखर बनाएंगे । साथ ही योग से लोगों को जोड़ने और वैदिक शिक्षा को बढ़ावा देने के मकसद से काम को और तेज करेंगे। योगगुरु रामदेव की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि उन्होंने देश और दुनिया को योग की अहमियत को समझाया है। 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस मानने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया को राजी किया, लेकिन देखा जाये तो स्वामी रामदेव ने भी इसके लिए अथक प्रयास किया था। उन्हें जनवरी 2007 में भुवनेश्वर की कलिंगा यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की उपाधि मिल चुकी है। 2015 में हरियाणा सरकार ने उन्हें योग और आयुर्वेद का ब्रांड एम्बेसडर बनाया। फेम इंडिया मैगजीन-एशिया पोस्ट सर्वे के 50 प्रभावशाली व्यक्ति 2020 की सूची में वे 20वें स्थान पर हैं।