सुधारवादी परन्तु प्रशासनिक तौर पर सख्त आईएएस अधिकारी हैं - अर्चना वर्मा

सुधारवादी परन्तु प्रशासनिक तौर पर सख्त आईएएस अधिकारी हैं - अर्चना वर्मा

सख्त तेवर, सुधारवादी कार्यशैली और सबसे पहले जिम्मेदारी - इन तीन बातों से अपनी पहचान बनाने वाली आईएएस ऑफिसर अर्चना वर्मा को प्रशासनिक हलकों में दायित्व को निभाने के साथ ही समाजिक सरोकार से जुड़ी काबिल अधिकारी माना जाता है। अर्चना वर्मा असम मेघालय कैडर की 1995 बैच की आईएएस अधिकारी हैं, जो अपने प्रशासनिक दायित्व को कुशलता से निभाने के साथ ही देश भर में मानसिक अवसाद अर्थात डिप्रेशन से जुझ रहे लोगों को डिप्रेशन से बाहर लाने के लिए अनुकरणीय प्रयास कर रही हैं।

बिहार  के प्रतिष्ठित स्लकू नोट्रेडम एकेडमी से  वर्ष 1988 में ह्यूमनिटी से  बारहवीं करने के बाद अर्चना वर्मा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कालेज से ग्रेजुएशन की डिग्री टॉप रैंकिंग से प्राप्त की। स्कॉलर अर्चना वर्मा ने जएनयू से  वर्ष 1993 में फर्स्ट डिवीजन से इतिहास में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की। उनका मकसद समाज के निचले स्तर तक बदलाव के लिए कार्य करना था और इसलिए उन्होंने एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस में जाने का निर्णय किया।


वर्ष 1995 में उन्होंने इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस ज्वाइन की। बतौर कलेक्टर उन्होंने जिले में आये भीषण बाढ़ के दौरान बहेतरीन कार्यकुशलता का परिचय दिया, उस दौरान जिलेमें हुए संप्रदायिक दंगे  पर दूरदर्शिता से काबू पाया। अर्चना वर्मा ने गोलपाड़ा जिले में मजबूती के साथ कोयला माफिया पर लगाम लगायी। उन्होंने महिला स्वयं सहायता समूहों और साक्षरता अभियान को सफल बनाने में भी महत्वपूर्ण  भू्मिका निभायी। उन्होंने गुवाहाटी म्युनिसिपल कमिश्नर के पद पर भी कई सुधारवादी कार्य किये, और उनकी कोशिशों का ही नतीजा था कि गुवाहाटी शहर की सफाई व्यवस्था बेहतर  हुई। वर्ष 2005 से  अर्चना वर्मा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय में डिप्टी सेक्रेटरी व निदेशक के पद पर पांच वर्ष के करीब पदस्थापित रहीं। उन्होंने वर्ष 2010 से  असम सरकार में ग्रामीण विकास और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे विभाग में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभायी।

दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच और अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता से  भरपूर अर्चना वर्मा 2013 में पुनः सात सालों के लिए सेंट्रल डेप्युटेशन पर भारत सरकार में पोस्टेड रहीं हैं। वहाँ उन्होंने डीओपीटी में करीब 4 साल ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर, और डीओपीटी के सेंट्रलविजिलेंस कमिशनमें एडिशनल सेक्रेटरी के तौर पर करीब तीन साल बहेतरीन कार्य किया। अर्चना वर्मा को नीति निर्माण और उसके क्रियान्वयनमें महारत हासिल है। कोविड पैंडेमिक में प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर जरूरतमंदों की सहायता के लिए देशभर के 32 सेंट्रल सर्विस एसोसिएशन और ऑल इंडिया सर्विस एसोसिएशन साथ आये और “करूणा” की शुरुआत की, जिससेलोगों को त्वरितमदद मिल सके। “करूणा” द्वारा कोविड महामारी के दौरान लाखों गरीबों तक मदद पहुंच रही है। अर्चना वर्मा को निर्भीक, ईमानदार और प्रोग्रेसिव ब्यूरोक्रैटमाना जाता हैं।