दिल्ली की धड़कन पहचानने वाले विजेंद्र गुप्ता
विजेंद्र गुप्ता भारतीय जनता पार्टी के उन राजनेताओं में से हैं जिन्होंने अपना करीयर छात्र राजनीति से शुरू किया और आज एक मुकाम पर हैं। वे रोहिणी क्षेत्र से विधायक होने के साथ ही भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी हैं।
विजेंद्र गुप्ता का जन्म 14 अगस्त 1963 को दिल्ली में एक व्यापारी परिवार में हुआ था। पढ़ने-लिखने में तेज रहे विजेंद्र को प्रतिष्ठित श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में दाखिला मिला जहां से उन्होंने एमकॉम तक की पढ़ाई की। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत वर्ष 1980 में जनता विद्यार्थी मोर्चा के सचिव पद से की। वे छात्र राजनीति में काफी सक्रिय रहे और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के उपाध्यक्ष भी चुने गये। उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा केशवपुरम का अध्यक्ष बनाया गया।
विजेंद्र गुप्ता ने पहली बार वर्ष 1997 में रोहिणी क्षेत्र से निगम पार्षद का चुनाव जीता। तब से वे लगातार तीन बार रोहिणी से पार्षद रहे। उन्होंने रोहिणी क्षेत्र को आदर्श नगरपालिका के तौर पर विकसित किया। वर्ष 1997-98 में वे एमसीडी की लॉ एंड जनरल कमेटी का हिस्सा रहे। 1998-2010 में वे स्टैंडिंग कमेंटी के मेंबर रहे। 2007-2009 में वे स्टैंडिंग कमेटी के चैयरमन बने। उनका राजनीतिक कद बढ़ा तो वर्ष 2013 में भाजपा ने उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के विरुद्ध विधानसभा के चुनावी मैदान में उतारा। हालांकि तब बाजी अरविंद केजरीवाल के हाथ रही, लेकिन वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने रोहिणी से भाग्य आजमाया और जब पूरी दिल्ली में आमआदमी पार्टी ने झाड़ू फेर दी थी तब भाजपा के जीतने वाले तीन विधायकों में से एक वे भी थे। इन चुनावों में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीती थी। वे भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष भी बनाये गये। 16 अप्रैल 2015 को उन्हें दिल्ली विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता भी नियुक्त किया गया।
विजेंद्र गुप्ता दिल्ली अभिभावक महासंघ के अध्यक्ष भी हैं और उन्होंने राजधानी के प्राइवेट स्कूलों द्वारा शिक्षा के व्यवसायीकरण के विरुद्ध आंदोलन छेड़ा और मामले को अदालत ले गये। दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने उनके कदम का समर्थन किया और आखिरकार प्राइवेट स्कूलों को गरीब छात्रों को मुफ्त एडमिशन देना पड़ा। जब दिल्ली में सीलिंग का दौर चला तब उन्होंने व्यापारियों के समर्थन में अभियान चलाये और उनकी रोजी-रोटी को छिनने से बचाया। वर्ष 1993 में उन्होंने लॉटरी के विरुद्ध अभियान का नेतृत्व किया और दिल्ली में इसपर रोक लगवा कर ही दम लिया।
विजेंद्र गुप्ता चाइल्ड वेलफेयर कमेटि के बेंच ऑफ मैजिस्ट्रेट के सदस्य तथा एलजेपीएन नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फॉरेंसिक साइंस के गेस्ट लेक्चरार रह चुके हैं। वे संपूर्ण नामक एक एनजीओ भी चलाते हैं।
फेम इंडिया - एशिया पोस्ट "उम्दा विधायक सर्वे" में व्यक्तित्व, छवि, जनता से जुड़ाव, कार्यशैली, लोकप्रियता, विधानसभा में उपस्थिति और प्रश्न, बहस में भागीदारी, विधायक निधि का उपयोग व सामाजिक सहभागिता आदि 10 मुख्य मापदंडों पर किये गये सर्वे में विजेंद्र गुप्ता को लगनशील कैटेगरी में प्रमुख स्थान पर पाया गया है।
सर्वे स्रोत - विभिन्न प्रश्नों पर विधानसभा क्षेत्रों की राय, विधायिका और मीडिया से जुड़े लोगों से स्टेक होल्ड सर्वे और विधानसभा से उपलब्ध डाटा के आधार पर।