शिक्षा और विकास की अलख जगाते के के खंडेलवाल
एक ऐसे प्रशासनिक अधिकारी, जिन्हें सुधारवादी विचारों के लिए जाना जाता है। एक ऐसे तकनीकी विशेषज्ञ, जिन्होंने सरकार की कार्यक्षमता को कई गुना बढ़ा दिया। एक ऐसे शिक्षाविद, जो अगली पीढ़ी के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा रखते हैं। झारखंड के वरिष्ठ आईएएस कैलाश कुमार खंडेलवाल की यह तीनों पहचान है।
एक सामान्य पृष्ठभूमि से निकले कैलाश ने इतना शानदार कैरियर कठिन रास्तों से गुजरते हुए हासिल किया। उनका जन्म 27 जुलाई 1962 को झारखंड के गिरिडीह जिले के एक पारंपरिक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। बचपन से ही उनकी अभिरुचि पारिवारिक व्यवसाय में शामिल होने की बजाय शिक्षा में रही। प्रारंभ से ही उनकी नज़रें एक अलग लक्ष्य पर टिकी थीं। पढ़ाई सरकारी स्कूल में हुई। गिरिडीह कॉलेज से इंटरमीडिएट करने के दौरान ही उनकी इच्छा आईआईटी में पढ़ने की हुई। उन्होंने कड़ी मेहनत की और 1981 के ऑल इंडिया रैंकिंग में 52वां स्थान हासिल किया। इस तरह, आईआईटी में पढ़ने वाले अपने जिले के पहले विद्यार्थी बन गये।
लेकिन लक्ष्य यहीं तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारी बनने का सपना देखा। वर्ष 1988 में अखिल भारतीय रैंकिंग में आठवां स्थान हासिल किया। टॉप रैंकिंग के कारण होम कैडर भी मिला। इस तरह केके खंडेलवाल ने उच्च प्रतिष्ठा हासिल की और राज्य के प्रशासन में महत्त्वपूर्ण सुधार किया।
वर्तमान में श्री खंडेलवाल झारखंड में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पद पर कार्यरत हैं। इससे पूर्व उन्होंने राज्य के विकास आयुक्त पद पर योगदान किया। एक प्रशासक के रूप में केके खंडेलवाल ने बिहार और झारखंड राज्य में विभिन्न क्षमताओं में योगदान किया है। मधेपुरा में उप-विकास आयुक्त का दायित्व संभाला और खगड़िया के जिलाधिकारी भी बने। जब झारखंड अलग राज्य गठित हुआ तो उन्होंने झारखंड कैडर चुना। गोड्डा, पाकुड़ और देवघर जिला में उपायुक्त के पद पर उनका कार्यकाल काफी यादगार रहा।
झारखंड सरकार के विभिन्न विभागों में उन्होंने सचिव, प्रधान सचिव और अपर मुख्य सचिव के बतौर महत्वपूर्ण योगदान किया। इनमें वन एवं पर्यावरण विभाग, उद्योग विभाग, खान एवं भूतत्व विभाग, भवन निर्माण विभाग, योजना सह वित्त विभाग, कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग, परिवहन तथा नागरिक उड्डयन विभाग, वाणिज्य कर विभाग इत्यादि शामिल हैं। वह दक्षिण छोटानागपुर (रांची), उत्तरी छोटानागपुर (हजारीबाग) एवं पलामू के डिविजनल कमिश्नर भी रह चुके हैं। इस दौरान उनके कई सुधारात्मक कार्यों की झलक मिली। उन्होंने आरआरडीए के वाइस चेयरमैन के बतौर भी योगदान किया।
के के खंडेलवाल ने देवघर स्थित बैजनाथ धाम मंदिर में पूजा अर्चना की व्यवस्था को सुदृढ़ करते हुए पहली बार वर्ष 1998 में श्रद्धालुओं के लिए कतार व्यवस्था का शानदार प्रयोग किया। इसके कारण देश भर से श्रावणी मेले में देवघर आने वाले श्रद्धालुओं को काफी सुविधा मिली। उनके इस प्रयोग को आज भी एक बड़े कदम के बतौर याद किया जाता है।
साथ ही, देवघर स्थित प्रसिद्ध शिवगंगा कुंड की सम्पूर्ण सफाई का बेहद मुश्किल लगने वाला कार्य भी वर्ष 1999 में जनसहयोग से कराने में बड़ी सफलता हासिल की। देवघर में नंदन कानन पहाड़ को पर्यटन स्थल बनाने में भी उनका सराहनीय योगदान रहा। राज्य में जीएसटी के सफल कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए उन्होंने इसके सिस्टम में व्यावहारिक सुधार संबंधी उपयोगी सुझाव दिए।
केके खंडेलवाल की भूमिका महज प्रशासनिक दायित्व तक सीमित नहीं रही। उन्होंने अपने सुपुत्रों अंकुर एवं अनुपम तथा भांजे अभिषेक को आईआईटी-जेईई की तैयारी कराई। उनके मार्गदर्शन में इन तीनों ने अच्छी रैंक पाकर आईआईटी में प्रवेश में सफलता पायी। उनके पुत्र अनुपम को आईआईटी जेईई में ऑल इंडिया लेवल पर नवां स्थान हासिल हुआ था। साथ ही, भांजे अभिषेक ने 56वाँ स्थान हासिल किया। खंडेलवाल ने सभी बच्चों को खुद ही गणित और भौतिकी की तैयारी कराकर अपनी श्रेष्ठ शिक्षण क्षमता का उदाहरण पेश किया।
अपने परिवार के तीन बच्चों को आईआईटी में सफलता दिलाने के बाद उन्होंने राज्य के मेधावी बच्चों को निःशुल्क मार्गदर्शन देना प्रारंभ किया। उनके अधिकांश विद्यार्थियों को आईआईटी में अच्छी रैंक के साथ प्रवेश का अवसर मिला। इस दौरान उन्होंने सोचा कि गरीब और साधनहीन बच्चों के लिए एक कोचिंग शुरू करें। उन्होंने वर्ष 2018 में सरकार से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन भी दिया। लेकिन प्रदेश सरकार ने उनका उपयोग प्रशासन में रहते हुए ही करना चाहा। फिलहाल उन्हें प्रदेश के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग में अपर मुख्य सचिव की जिम्मेदारी दी गयी है।
खुद आईआईटी करने के बाद सिविल सर्विस में बड़ी सफलता हासिल करने वाले श्री खंडेलवाल ने एक कुशल प्रशासक के साथ ही सफल शिक्षक की भी भूमिका निभायी। उनके मार्गदर्शन में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने आईआईटी में प्रवेश पा रहे हैं। उम्मीद की जाती है कि सेवानिवृत्त होने के बाद श्री खंडेलवाल अपनी संपूर्ण क्षमता का योगदान करते हुए झारखंड के बच्चों को आईआईटी की तैयारी में बड़ी सफलता दिलायेंगे।
शानदार गवर्नेंस, गंभीरता और व्यवहार कुशलता, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता जैसी चीजें ही केके खंडेलवाल की पहचान है। इन्हीं मुख्य बिंदुओं पर किये गये फेम इंडिया मैगजीन एवं एशिया पोस्ट के वार्षिक सर्वे असरदार ब्यूरोक्रेट्स 2021 में केके खंडेलवाल को प्रमुख स्थान प्राप्त हुआ।